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कहीं जान न ले ले ये कंप-कंपी, जानें क्या हैं इससे बचने का उपाय

इस बीमारी में रोगी के हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगते हैं और काम करना बंद कर देते हैं और पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 01:08 PM (IST)Updated: Mon, 24 Dec 2018 11:19 AM (IST)
कहीं जान न ले ले ये कंप-कंपी, जानें क्या हैं इससे बचने का उपाय
कहीं जान न ले ले ये कंप-कंपी, जानें क्या हैं इससे बचने का उपाय

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तर भारत के ऊपर स्थित पहाड़ों पर बर्फबारी से सर्दियों का शिकंजा पूरे मैदानी क्षेत्र पर कस गया है। पारा गिरने के साथ बहने वाली शीतलहर किसी के लिए भी घातक हो सकती है। हाड़ कंपा देने वाली इन सर्द हवाओं से बचाव बेहद जरूरी है। सर्दी के सितम पर पेश है एक नजर।

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हाइपोथर्मिया शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है। कुदरत ने हमारे शरीर को इस तरह बनाया है कि ये ज्यादा या कम तापमान में खुद को संतुलित कर लेता है। लेकिन कई बार कुछ कारणों से शरीर की ये क्षमता घट जाती है या बाहर का तापमान बहुत कम हो जाता है, तो शरीर तापमान के मुताबिक संतुलन नहीं बना पाता। सर्दियों में इसकी वजह से हाइपोथर्मिया होने का खतरा बढ़ जाता है।

पहली स्थिति में शरीर का तापमान सामान्य तापमान से 1-2 डिग्री कम हो जाता है। इस स्थिति में रोगी के हाथ सही तरीके से काम नहीं करते। सबसे ज्यादा समस्या रोगी के पेट में होती है और वह थकान महसूस करता है। शरीर का तापमान, सामान्य से 2-4 डिग्री कम हो जाता है। इस स्थिति में कंपकंपाहट तेज हो जाती है। रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। रोगी पीला पड़ जाता है और उंगलियां, होंठ और कान नीले पड़ जाते हैं।

क्या होता है हाइपोथर्मिया
इस बीमारी में रोगी के हाथ-पांव ठंडे पड़ने लगते हैं और काम करना बंद कर देते हैं और पेट में असहनीय पीड़ा होने लगती है। हाइपोथर्मिया का खतरा सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और उम्रदराज लोगों को होता है। कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है। बुढ़ापे में शरीर कमजोर होता है और शरीर में कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिससे शरीर ज्यादा ठंड नहीं झेल पाता। छोटे बच्चों में कई बार शरीर में गर्मी पैदा करने की क्षमता नहीं विकसित हो पाती, इसलिए उन्हें भी इससे खतरा होता है।

रोग के लक्षण
शरीर का तापमान अगर 95 डिग्री से कम हो जाए या शरीर पर्याप्त गर्मी न पैदा कर पाए, तो हाइपोथर्मिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इस बीमारी में रोगी की आवाज धीमी हो जाती है या उसे नींद आने लगती है। हाइपोथर्मिया के लक्षणों में मुख्य हैं - धीमी, रुकती आवाज, आलस्य, कदमों में लड़खड़ाहट, हृदयगति और सांस और ब्लड प्रेशर बढ़ना आदि। इससे युवाओं और बुजुर्गों को, खासकर जिनको मधुमेह या इससे जुड़ी बीमारियां हैं या जो मदिरापान या ड्रग का प्रयोग ज्यादा करते हैं, उन्हें होता है।

रोगी का प्राथमिक उपचार
हाइपोथर्मिया के रोगी को सबसे पहले गर्म कपड़ों से ढककर किसी गर्म कमरे या गर्म जगह पर लिटा दें और अगर उसके कपड़े गीले हैं तो उन्हें बदल दें। इसके बाद डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। ऐसी स्थिति में सीधे गर्मी देना कई बार खतरनाक हो सकता है इसलिए आग के पास या हीटर के पास मरीज को सीधे न ले जाएं। घर से बाहर निकलने से पहले अल्पाहार या खाना खाकर जरूर निकलें। अगर काफी थके हों तो आराम कर लें क्योंकि थकान के दौरान खुद को गर्म रख पाना काफी मुश्किल होता है। हाइपोथर्मिया में डॉक्टर की सलाह के बिना, किसी मेडिकल स्टोर आदि से दवाई न लें क्योंकि इसका प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है।

शीतलहर के प्रभाव

  • अचानक चलने वाली शीतलहर से लोग गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। जमाव वाली सर्दी से शरीर के ऊतक नष्ट हो सकते हैं। हाइपोथर्मिया जैसी गंभीर स्थिति से भी जूझना पड़ सकता है। हर साल देश भर में ठंड के चलते सैकड़ों लोग मारे जाते हैं।
  • खराब मौसम और घने कोहरे से न केवल आवागमन प्रभावित होता है, बल्कि ये स्थिति दुर्घटनाओं का कारण भी बनती है। सर्दी के कोहरे वाले मौसम में सड़क दुर्घटनाएं सबसे ज्यादा होती है।
  • पालतू जानवरों और जंगली जीव-जंतुओं पर इसका सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। शीतलहर के साथ होने वाली बर्फबारी के चलते इन जानवरों के चारे की समस्या खड़ी हो जाती है।
  • शीतलहर से पौधों और फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। इस मौसम में अपनी फसलों को बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती होती है।
  • कई बार शहरी इलाकों में पेयजल संकट खड़ा हो जाता है। पाइपलाइनों में पानी जमने से पाइपों के फटने की आशंका खड़ी हो जाती है।

गर्म कपड़े पहनना जरूरी है
ठंड के मौसम में जब बाहर का तापमान शरीर के अनुकूल न रहकर कम हो जाता है तो शरीर को गर्मी की जरूरत पड़ती है। इसलिए ठंड में आपके लिए गर्म कपड़े पहनना जरूरी है। घर से बाहर निकलते समय पेट भरा रखें। खाली पेट हाइपोथर्मिया का खतरा ज्यादा होता है। ठंड अगर बहुत ज्यादा है तो कोशिश करें कि घर में रहें और शरीर को ब्लैंकेट या रजाई से गर्म रखें। बाहर निकलना जरूरी भी है तो पूरी बांह के पर्याप्त गर्म कपड़े पहन कर निकलें। सिर से शरीर को काफी गर्मी मिलती है इसलिए सिर को गर्म कपड़े या टोपी से ढक कर रखना चाहिए। घर में अगर छोटा बच्चा है तो रूम हीटर का इस्तेमाल करें ताकि कमरे का तापमान सामान्य किया जा सके। इसके अलावा ध्यान रखें कि सर्द हवा में बाइक से न निकलें या मोटा जैकेट और बॉडी वार्मर पहन कर ही निकलें।

शराब पीने से हो सकता है धोखा
ठंड के मौसम में शराब पीना से अचानक से गर्मी लगने लगती है तो ये हाइपोथर्मिया की चेतावनी हो सकती है। ठंड लगने पर हृदय की गति सामान्य से तेज हो जाती है। ऐसी स्थिति में मांसपेशियां तापमान का लेवल बनाए रखने के लिए एनर्जी रिलीज करती हैं। शराब पीने से हाथ-पैर की नसें फैलती हैं लेकिन ऐसे में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे हाथ-पांव ठंडे होने लगते हैं मगर इस बात का भ्रम होता है कि ये गर्म हैं। 
(नोट- इस पर अमल करने से पूर्व डॉक्‍टर से परामर्श जरूर कर लें) 


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