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    जानिए, माता पार्वती और बेल के पेड़ की उत्पत्ति के बीच क्‍या है संबंध

    बेल की पत्तियां अधिकतर तीन, पांच या सात के समूह में होती हैं। तीन के समूह की तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र या त्रिशूल से की जाती है।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 18 Jul 2018 03:05 PM (IST)
    जानिए, माता पार्वती और बेल के पेड़ की उत्पत्ति के बीच क्‍या है संबंध

    नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दस दिनों में सावन का महीना शुरू होने वाला है। ऐसे में व्रत-पूजन करने के लिए सबको बेल-पत्र की जरूरत पड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह देशी पेड़ हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है। शिव मंदिर में तो इसे जरूर लगाया जाता है। मान्यता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के समय से बेल का पेड़ धरा पर मौजूद है। सिर्फ धार्मिक ही नहीं, यह सेहत के लिए भी यह बेहद अहम पेड़ है। इसके फल में तमाम विटामिन और खनिज पाए जाते हैं, जो शरीर को कई रोगों से छुटकारा दिला सकते हैं। यह पेड़ इतना सख्तजान है कि ऐसी परिस्थिति में भी आराम से उग सकता है, जहां अन्य फलों वाले पेड़ नहीं उग पाते। आओ रोपें अच्छे पौधे सीरीज के तहत आज जानिए बेल के पेड़ के बारे में।

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    धार्मिक मान्यताएं
    बेल की पत्तियां अधिकतर तीन, पांच या सात के समूह में होती हैं। तीन के समूह की तुलना भगवान शिव के त्रिनेत्र या त्रिशूल से की जाती है। इसके अलावा इन्हें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार मंदार पर्वत पर माता पार्वती के पसीने की बूंदे गिरने से बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई। यह पेड़ सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

    बेलपत्र का महत्व
    हिंदू शास्‍त्रों में मान्‍यता है कि भगवान शिव को बेलपत्र बहुत पसंद हैं। जिससे शिव पूजन में इसे शामिल करना अनिवार्य माना जाता है। कहते हैं इससे भगवान शिव बहुत जल्‍दी पसंद होते हैं। वह बेलपत्र चढ़ाने वाले भक्‍तों को मनचाहा वरदारन देते हैं।

    बेल पत्‍त‍ियां खराब न हों
    मान्‍यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से शि‍व जी का मस्‍तक शीतल रहता है। हालांकि इस दौरान ध्‍यान रखना चाहिए की बेलपत्र में तीन पत्‍त‍ियां हों। इसके अलावा पत्‍त‍ियां खराब न हों। बेलपत्र चढ़ाते समय जल की धारा साथ में जरूर अर्पि‍त करना चाहिए।

    बेलवृक्ष लगे होने पर शि‍व कृपा
    जि‍न घरों बेलवृक्ष लगा होता हैं वहां भी शि‍व कृपा बरसती है। बेलवृक्ष को घर के उत्तर-पश्चिम में लगाने से यश कीर्ति की प्राप्‍त‍ि होती है। वहीं उत्तर-दक्षिण में लगे होने पर भी सुख-शांति और मध्‍य में लगे होने से घर में धन और खुशियां आती हैं।

    सेहत के फायदे  

    - बेल फल में मौजूद टैनिन डायरिया और कालरा जैसे रोगों के उपचार में काम आता है।
    - कच्चे फल का गूदा सफेद दाग बीमारी का प्रभावकारी इलाज कर सकता है।
    - इससे एनीमिया, आंख और कान के रोग भी दूर होते हैं।
    - पुराने समय में कच्चे बेल के गूदे को हल्दी और घी में मिलाकर टूटी हुई हड्डी पर लगाया जाता था।
    - इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स के चलते पेट के छालों में आराम मिलता है।
    - वायरस व फंगल रोधी गुणों के चलते यह शरीर के कई संक्रमणों को दूर कर सकता है।
    - विटामिन सी का अच्छा स्रोत होने के चलते इसके सेवन से सर्वी नामक रक्त वाहिकाओं की बीमारी में आराम मिलता है।
    - बेल की पत्तियों का सत्व रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में लाभदायक है।
    - पेड़ से मिलने वाला तेल अस्थमा और सर्दी-जुकाम जैसे श्वसन संबंधी रोगों से लड़ने में सहायक है।
    - पके हुए फल के रस में घी मिलाकर पीने से दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।
    - कब्ज दूर करने की सबसे अच्छी प्राकृतिक दवा है। इसके गूदे में नमक और काली मिर्च मिलाकर खाने से आंतों से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।