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मौन तोड़ें प्रधानमंत्री, यह है सबूतः कपिल सिब्बल

संसद में सहयोगियों के पैर पीछे खींचने से बिफरी कांग्रेस ने ललित मोदी मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधे आरोप लगाए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कुछ दस्तावेजी साक्ष्य रखते हुए ललित मोदी मामले में प्रधानमंत्री व

By Sudhir JhaEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2015 08:29 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2015 10:01 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद में सहयोगियों के पैर पीछे खींचने से बिफरी कांग्रेस ने ललित मोदी मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधे आरोप लगाए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कुछ दस्तावेजी साक्ष्य रखते हुए ललित मोदी मामले में प्रधानमंत्री व भाजपा प्रमुख अमित शाह की भूमिका की जांच मांग है। सिब्बल ने कहा कि 'इन खुलासों से साफ होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पूर्व आईपीएल आयुक्त से नजदीकी संबंध रहे हैं,ऐसे में इन दोनों की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

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कपिल सिब्बल ने कहा कि दस्तावेजी सबूतों के मुताबिक साफ जाहिर होता है कि, गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनके साथी अमित शाह प्रथम दृष्टि में आईपीएल टीम की बोलियों के फेरबदल में शामिल थे। उस समय गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे नरेंद्र मोदी व उपाध्यक्ष शाह ने योजना बद्ध तरीके से अपने रसूख का इस्तेमाल अपने मित्र गौतम अडानी को फ्रेंचाइजी दिलाने के लिए एकतरफा शर्ते रखवाने में किया।

ऐसे में यह साफ है कि उस समय के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ललित मोदी से जुड़े प्रकरण की पूरी जानकारी थी। ऐसे में इस मामले पर मोदी का जानबूझकर मौन रहना सवाल खड़े करता है। सिब्बल ने कहा कि मोदी के मौन का कारण सितंबर 2009 और 10 जून 2013 के बीच की 13 अलग अलग तारीखों में छुपा है। इन तारीखों में इनकी मुलाकातों का ब्योरा है। प्रधानमंत्री को मन की बात में इस पूरे घटनाक्रम के बारे में देश को बताना चाहिए।

सिब्बल ने कहा कि हैरानी इस बात कह है कि मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली जिन्होंने 10-06-2013 को जांच रिर्पोट पर हस्ताक्षर किया था, ने अपने नेता के स्वार्थपरक कामों के खिलाफ सूचना क्यों नही दर्ज कराई। जेटली ने अडानी व वीडियोकान को लाभ पहुंचाने के मकसद से एकतरफा शर्तो व वित्तीय लेन-देन की जांच के लिए कमेटी गठित क्यों नही की। सिब्बल ने इस जानकारी को आपराधिक कार्य का प्राथमिक सबूत बताया है।

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