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'राजीव गांधी के हत्यारों की तरह मुझे भी रिहा करें', सुप्रीम कोर्ट में बोला पत्नी का हत्यारा श्रद्धानंद

स्वयंभू संत श्रद्धानंद अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में पिछले कई सालों से जेल में बंद हैं। श्रद्धानंद ने अपनी रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उसने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का हवाला दिया है।

By AgencyEdited By: Manish NegiPublished: Thu, 17 Nov 2022 02:34 PM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2022 02:34 PM (IST)
'राजीव गांधी के हत्यारों की तरह मुझे भी रिहा करें', सुप्रीम कोर्ट में बोला पत्नी का हत्यारा श्रद्धानंद
SC में बोला पत्नी का हत्यारा श्रद्धानंद, मुझे भी रिहा करें

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी के हत्यारों को हाल ही में रिहा कर दिया था। अब अन्य कैदी भी सुप्रीम कोर्ट से अपनी रिहाई की मांग करने लगे हैं। अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में सजा काट रहे स्वयंभू संत श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट से खुद को रिहा करने की मांग की है। आजीवन कारावास की सजा काट रहे श्रद्धानंद ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की तरह जेल से रिहा होने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

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श्रद्धानंद का अपनी याचिका में कहना है कि समानता के अधिकार के उल्लंघन का ये उत्कृष्ट मामला है। श्रद्धानंद ने कहा कि वो एक दिन की पेरोल मिले बिना 29 साल जेल में बिता चुका है। समानता की मांग करते हुए उसने कहा कि उसे भी छूट या पेरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

श्रद्धानंद की दलील

श्रद्धानंद के वकील वरुण ठाकुर ने याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र 80 वर्ष से अधिक है और वह मार्च 1994 से जेल में बंद है। याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की और न्यायिक कबूलनामा लिया। उस आधार पर उसे ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मौत की सजा को बिना किसी छूट के उम्रकैद में बदल दिया, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की और याचिकाकर्ता को एक दिन की भी पेरोल नहीं दी।'

याचिका में कहा गया है कि हाल ही में अदालत ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषियों को रिहा कर दिया। दोषियों ने अपनी याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान पेरोल और अन्य छूट का लाभ भी उठाया था।

क्या है मामला?

श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने अपनी पत्नी शकीर नमाजी को मौत के घाट उतार दिया था। नमाजी मैसूर के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती थी। उन्होंने पूर्व राजनयिक अकबर खलीली को तलाक देकर 1986 में श्रद्धानंद से शादी की थी। श्रद्धानंद ने 28 अप्रैल 1991 को नमाजी को नशीला पदार्थ खिलाया और बेंगलुरु स्थित बंगले में जिंदा दफना दिया था।

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