नेशनल हेराल्ड केस: ईडी अधिकारी को कारण बताओ नोटिस
एजेएल के पास नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिकाना हक है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था।
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नेशनल हेराल्ड अखबार के मामले में दाखिल आरटीआई अर्जी का कोई जवाब नहीं देने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
आरटीआई आवेदक ने प्रवर्तन निदेशालय से नेशनल हेराल्ड केस को बंद करने के लिए बनाई गई रिपोर्ट, केस को फिर से खोलने से संबंधित रिकॉर्डों और जांच रिपोर्टों की प्रतियां मांगी थीं। उन्होंने 18 दिसंबर, 2015 को उक्त जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए आवेदन दिया था। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने आयोग से शिकायत की थी।
ये है पूरा मामला
एजेएल के पास नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिकाना हक है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास है। कुछ समय बाद एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर नयी बनायी कंपनी यंग इंडियन को दे दिए गए। इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को एजेएल का मालिकाना हक मिल गया।
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