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शिवसेना को दो घंटे का इंतजार भी कड़वा नहीं लग रहा

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बुधवार को विधानसभा में संकेत दिया कि 2019 का चुनाव शेर और बाघ, यानी भाजपा और शिवसेना साथ-साथ लड़ेंगे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 29 Mar 2018 11:20 PM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2018 11:20 PM (IST)
शिवसेना को दो घंटे का इंतजार भी कड़वा नहीं लग रहा
शिवसेना को दो घंटे का इंतजार भी कड़वा नहीं लग रहा

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई: भाजपा के साथ इन दिनों असहज संबंधों के बावजूद शिवसेना उसके साथ अपने रिश्ते और खराब होने का संकेत नहीं देना चाहती है। शायद इसीलिए बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा उद्धव ठाकरे को करवाया गया दो घंटे का इंतजार भी उसे बुरा नहीं लग रहा है।

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने बुधवार को विधानसभा में संकेत दिया कि 2019 का चुनाव शेर और बाघ, यानी भाजपा और शिवसेना साथ-साथ लड़ेंगे। संभवत: इन्हीं संभावनाओं के कारण शिवसेना अपने 27 साल पुराने मित्रदल के साथ रिश्तों में और तनाव नहीं घोलना चाहती है। मुख्यमंत्री फड़नवीस द्वारा उद्धव ठाकरे को समय देकर भी दो घंटे इंतजार करवाना और उसके बाद भी न मिलना शिवसेना को तनिक भी बुरा नहीं लग रहा है। शिवसेना के नेता स्वयं सफाई देते दिख रहे हैं कि मुख्यमंत्री विधानसभा में व्यस्त रहने के कारण उद्धव ठाकरे से नहीं मिल पाए। इसे गलत नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।

उद्धव ठाकरे ने बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस से मिलने का समय ले रखा था। उन्हें विधायक निधि के आवंटन पर बात करनी थी। मुलाकात का समय शाम पांच बजे का तय था। उद्धव तय समय से कुछ पहले ही विधानसभा के पास स्थित शिवसेना कार्यालय में आकर बैठ गए। लेकिन विधानमंडल सत्र का अंतिम दिन होने के कारण मुख्यमंत्री विधानसभा की कार्यवाही में व्यस्त रहे। उन्हें विधानसभा में बहस का जवाब देना था, जो करीब 7:30 बजे तक चला। तब तक उद्धव ठाकरे वापस जा चुके थे। हालांकि सदन से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री ने फोन पर उद्धव से चर्चा की और इसी सप्ताह मिलने का आश्वासन भी दिया।

बता दें कि बुधवार को ही विधानसभा में एक चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने यह कहकर सूबे की राजनीति में नए कयासों को भी जन्म दे दिया है कि 2019 का चुनाव भाजपा और शिवसेना साथ लड़ेंगी और जीतेंगी भी। हालांकि अपने वक्तव्य में उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह लोकसभा चुनाव की बात कर रहे हैं या विधानसभा की। लेकिन उनके इस बयान ने पिछले तीन साल से शिवसेना-भाजपा के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों में ठंडी हवा का एक झोंका जरूर ला दिया है।


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