बिन पानी पहाड़ों की रानी शिमला, स्थानीय लोगों से लेकर पर्यटक सभी परेशान
जल संकट के कारण रेस्तरां में पर्यटकों को शौचालय नहीं जाने दिया जा रहा है। रेस्तरां में शौचालयों में ताले लटका दिए गए हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला। पहाड़ों की रानी शिमला बुधवार को भी पानी के लिए तड़पती नजर आई। कहीं चक्का जाम, कहीं पानी के लिए मारामारी। दिन प्रतिदिन शिमला के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। बुधवार को अधिकतर इलाकों में पानी की सप्लाई नहीं हुई। शहर के लिए मात्र 18 एमएलडी पानी ही लिफ्ट किया जा सका, जबकि इन दिनों शहर के लिए रोज 55 एमएलडी पानी की जरूरत होती है। नगर निगम ने पानी की सप्लाई के लिए जो शेड्यूल जारी किया था, वह भी फेल हो गया। शहर के लोगों का पानी मुहैया करवाने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर नगर निगम का पूरा अमला विफल रहा।
बुधवार को जिन इलाकों में पानी की सप्लाई दी गई वहां पानी का प्रेशर इतना कम था कि लोगों की टंकियों तक पानी नहीं पहुंचा। लोग बाल्टी भरने लगे तो नलों से पानी की टपकता नजर आया। बुधवार को लोग फिर से सड़कों पर धरना देने उतरे। पानी की सप्लाई के लिए जहां पानी के टैंकर भेजे गए, वहां पर पुलिस के जवान तैनात किए। राजधानी में सरकार पानी के टैंकर चला रही है, लेकिन टैंकर से भी लोगों की प्यास बुझती नजर नहीं आ रही है। शहर में पानी के लिए लोग रात को ही घरों से बाहर निकलकर सड़कों में कतारों में खड़े हो रहे हैं। शिमला की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है कि हर जगह पानी के टैंकर नहीं पहुंचाए जा सके। ऐसे में लोग बाल्टी या दूसरे बर्तनों में पैदल पानी लेकर जा रहे हैं।
पूरे प्रदेश में संकट
पिछले एक महीने से प्रदेश के अधिकतर जिलों में जल संकट गहराया है। वर्तमान में प्रदेश की 1450 पेयजल योजनाएं हांफ चुकी हैं। दस जिलों में जल संकट गहरा गया है। स्कूलों में मिड-डे मील बनाने के लिए पर्याप्त पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है। यहां तक कि पानी की किल्लत के कारण शिमला, सोलन सहित अन्य कई क्षेत्रों में स्कूलों में छुट्टी कर दी गई या उनकी समय सारिणी बदल दी गई है। यदि मौसम का मिजाज कुछ इसी तरह का रहा तो प्रदेश में जल संकट विकराल रूप धारण कर सकता है।
रोज बैठक कर रहे सीएम
मुख्यमंत्री पानी की स्थिति को लेकर रोज अधिकारियों की बैठकें ले रहे हैं। प्रदेश के अन्य जिलों से पानी की सप्लाई के टैंकर मंगवाए गए हैं। मुख्यमंत्री प्रदेश के किसी भी कोने में कार्यक्रम में भाग लेने जाते हैं तो शाम को राजधानी में लौटकर अधिकारियों की बैठक लेकर पानी का जायजा ले रहे हैं। पानी को लेकर मचे कोहराम के कारण हाईकोर्ट ने भी खुद संज्ञान लेते हुए नगर निगम के अधिकारियों को तलब किया।
रेस्तरां में शौचालय बंद
जल संकट के कारण रेस्तरां में पर्यटकों को शौचालय नहीं जाने दिया जा रहा है। रेस्तरां में शौचालयों में ताले लटका दिए गए हैं। पूछने पर रेस्तरां मालिक पानी न होने के कारण शौचालय को बंद करने की बात कह रहे हैं। माल रोड पर स्थित डेविकोज रेस्तरां के मालिक संजय सूद ने बताया कि पानी न होने के कारण ग्राहकों को शौचालय जाने से मना कर रहे हैं, क्योंकि शौचालय में सबसे अधिक पानी लगता है।
शिमला के साठ फीसदी होटल बंद
पानी की किल्लत के कारण शहर में साठ फीसदी होटल बंद कर दिए गए हैं। इसके लिए जिन होटलों में पानी की सप्लाई टैंकरों से हो रही है, वहां पर पर्यटकों को एक बाल्टी पानी दी जा रही है। यहां तक पर्यटकों को कमरा देने से पहले होटल उन्हें पानी एक से दो बाल्टी देने की बात कह रहे हैं। होटल उद्योग संघ के अध्यक्ष मोहिंद्र सेठ ने बताया कि पानी की किल्लत के कारण साठ फीसदी होटल बंद कर दिए गए हैं।
पर्यटक फोन कर पूछ रहे पानी आया
मैदानी इलाकों में तपती गर्मी के कारण पर्यटक पहाड़ों की रानी शिमला का रुख तो करना चाह रहे हैं, लेकिन इन दिनों पानी को लेकर मचे हाहाकार के कारण कदम पीछे खींच रहे हैं। पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों के अनुसार पर्यटकों के रोज फोन आते हैं, जिसमें पानी की किल्लत के बारे पूछते हैं।
20 फीसदी रह गया होटल कारोबार
राजधानी में गर्मी के मौसम में अधिक पर्यटक घूमने के लिए आते हैं, लेकिन इन दिनों यहां पानी के किल्लत चल रही है। इसका असर होटल उद्योग पर भी पड़ा है। शिमला का होटल कारोबार घट कर 20 से 25 फीसदी तक रह गया है। इसकी पुष्टि होटल उद्योग संघ शिमला के अध्यक्ष मोहिद्र सेठ ने की है।