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जन्मभूमि पर मंदिर ही बनेगा, मस्जिद तो प्रतीक स्वरूप में भी मंजूर नहीं

नरसिंहराव प्रधानमंत्री थे, तब भी यह बात उठी थी कि समाधान के लिए वहां मंदिर-मस्जिद दोनों बनाने पर सहमति बन जाए।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 27 Nov 2017 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 27 Nov 2017 08:53 AM (IST)
जन्मभूमि पर मंदिर ही बनेगा, मस्जिद तो प्रतीक स्वरूप में भी मंजूर नहीं
जन्मभूमि पर मंदिर ही बनेगा, मस्जिद तो प्रतीक स्वरूप में भी मंजूर नहीं

भोपाल, नईदुनिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बाद अब गोवर्धन पीठ (पुरी) के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ऐलान किया है कि श्रीराम जन्मभूमि पर सिर्फ मंदिर ही बनेगा, मस्जिद तो प्रतीक स्वरूप में भी मंजूर नहीं।

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सरस्वती ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही निशाने पर रखा और कहा कि सरदार पटेल जैसा मनोबल न तो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने दिखाया और न ही अटल बिहारी वाजपेयी ने, लेकिन इतना तय है कि कोई भी दल हिंदुओं को दिशाहीन नहीं कर सकता। इस युग में सनातन धर्म को चुनौती देने का साम‌र्थ्य किसी में नहीं।

राजधानी प्रवास पर आए स्वामी निश्चलानंद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद प्रभात झा के निवास पर भक्तों से रूबरू थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मंदिर तो वहीं बनेगा, साथ ही यह भी बताया कि सुब्रह्मण्यम स्वामी कह रहे थे कि विपरीत निर्णय आया तो संसद से कानून बनाएंगे। शंकराचार्य ने कहा कि हिंदुओं को अपनी ताकत पहचाननी होगी।

अलग-अलग मुद्दों पर राय राम जन्मभूमि विवाद
नरसिंहराव प्रधानमंत्री थे, तब भी यह बात उठी थी कि समाधान के लिए वहां मंदिर-मस्जिद दोनों बनाने पर सहमति बन जाए। वाजपेयी ने भी मेरे पास शत्रुघ्न सिन्हा को भेजा था, वह भी मंदिर के सामने मस्जिद बनवाना चाहते थे। सभी सहमत थे, लेकिन मैंने दस्तखत करने से इंकार कर दिया। राव और अटलजी में सरदार पटेल जैसा मनोबल नहीं था। जवाहरलाल नेहरू ने वहां नमाज पर प्रतिबंध लगवाया, राजीव गांधी के समय ताला खुला और शिलान्यास भी हुआ, लेकिन बाद में उनके भी हौसले ध्वस्त हो गए। हां, वाजपेयी के समय पुरातत्व खुदाई से यह तय हो गया था कि वहां मंदिर ही था। इतनी ही भूमिका इन दलों की रही। श्रीश्री रविशंकर मामले में क्यों कूदे श्रेय लेने, काम बनाने या भटकाने यह उन्हीं से पूछो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक मौन हैं
मोदी ने हिंदुत्व अथवा रामलला के नाम पर नहीं, विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। हिंदुत्व का जिक्र काशी में केवल गंगा का नाम लेकर किया। भाजपा सुस्त नहीं दिखती, राजनेता के साथ सत्तालोलुपता तो रहती ही है, लेकिन कोई भी दल हिंदुओं को दिशाहीन नहीं कर सकता।

सनातन धर्म को चुनौती देने की क्षमता किसी में नहीं
हमारी मेधा शक्ति, वाणिज्य, श्रम शक्ति और रक्षा शक्ति बुलंद है। हमारे सिद्धांत के आगे चीन और पाकिस्तान सहित पूरी दुनिया नतमस्तक है। क्षत्रियों (शाधारी) के साथ ब्राह्मण (गुरु) सदैव रहे, जैसे गुरु वशिष्ठ/विश्वामित्र- राम, भृगु-पृथु, नारद-प्रहलाद, समर्थ रामदास-शिवाजी, चाणक्य-चंद्रगुप्त।

शंकराचार्य विवाद
देश में सौ से ज्यादा नकली शंकराचार्य घूम रहे हैं, इन्हें तो जेल में डालकर मौत की सजा दे देना चाहिए। राजनेताओं की तरह अब शंकराचार्य पद को लेकर भी प्रपंच होने लगे हैं। बद्रीकाश्रम पीठ को लेकर हाईकोर्ट का निर्णय आ गया है। इसलिए नए शंकराचार्य की नियुक्ति भी जल्दी हो जाना चाहिए।

घटती हिंदू आबादी
आजादी के बाद तुष्टिकरण पर अंकुश नहीं। इस कारण जैन, बौद्ध और सिखों ने अपने को अल्पसंख्यक घोषित करा लिया। उन्हें खुद को हिंदू सिख, हिंदू बौद्ध और हिंदू जैन उद्घोषित करना चाहिए।

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