कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार, PSA के तहत भेजा गया जेल
जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) के तहत गिरफ्तार किया गया हैं।
श्रीनगर, जेएनएन। कश्मीर में अलगाववाद पर राज्य प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया हैं। पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) के तहत यासीन मलिक को गिरफ्त में लिया गया। उन्हें श्रीनगर से बाहर जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल में रखा जाएगा। यहां पर यह बताना जरूरी है कि केंद्र सरकार ने पिछले माह से जम्मू कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत देते हुए जमात ए इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही विभिन्न अलगाववादियों को हिरासत में लेने या फिर नजरबंद बनाने की कवायद शुरु कर रखी है। जमात और अलगाववादी संगठनों से जुड़े करीब 600 से ज्यादा छोटे बड़े नेताओं व कार्यकर्त्ताओं को हिरासत में लिया गया है।
बता दें कि इससे पहले यासीन को 22 फरवरी को हिरासत में लिया गया था। उनके खिलाफ कोठी बाग पुलिस स्टेशन मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही एनआईए और ईडी के अधिकारी भी रियासत में टेरर फंडिंग व हवाला के मामलों में अलगाववादियों के घरों में तलाशी ले रहे हैं। इससे पूरे अलगाववादी खेमे में खलबली मची हुई है।
PSA लगने से पहले राज्य के उच्च न्यायालय ने भी यासीन मलिक को एक बड़ा झटका देते हुए रुबिया सईद की गिरफतारी व एयरफोर्स के अधिकारियों पर हमले से जुड़े मामलों की सुनवाई को श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित करने के संदर्भ में उनसे आपत्तियां मांगी हैं। यह मामला भी बीते 30 सालों से लटका पड़ा था। जहां इस बीच अब मलिक पर पीएसए की खबर के बाद कश्मीर के हालात बिगाड़ने का काम किया जा रहा है।
बता दें कि जब से मलिक पर पीएसए की खबर सामने आई है। जब से ही लालचौक के सटे मैसूमा,गावकदल और आसपास के कई इलाकों में लोगों ने हड़ताल शुरु कर दी है। सभी दुकानें व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी थम गई। इस दौरान मलिक के समर्थकों ने भड़काऊ नारेबाजी करते हुए जुलूस भी निकालते हैं। वहां तैनात सुरक्षाकर्मियो पर पथराव की भी खबर है। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई कर जल्द ही स्थिति पर काबू में कर लिया।
हालांकि राज्य में केंद्र और राज्य के सक्रिय स्थानीय राजनीतिक व सामाजिक संगठनों द्वारा अपनाए गए रुख का सख्त विरोध किया जा रहा है। नेकां, कांग्रेस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस ने इसे लोकतंत्र व कश्मीर में अमन बहाली के प्रयासों के खिलाफ बताया है। लेकिन केंद्र व राज्य प्रशासन ने इस बार अलगाववादियों के तुष्टिकरण की तरफ कोई भी कदम न बढ़ाने का स्पष्ट संकेत देते हुए गुरुवार को जेकेएलएफ चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक पर PSA लगा उन्हें जम्मू की कोट भलवाल जेल भेज ।
इससे पहले भी अलगाववादी नेता यासीन मलिक कटघरे में हैं। बता दें कि राज्य उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने देश के तत्कालीन गृहमंत्री स्व मुफती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रुबिया सईद के 1990 में हुए अपहरण व 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में एयरफोर्स अधिकारियों के वाहन पर हुए आतंकी हमले में आरोपित जेकेएलएफ चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक के खिलाफ जारी मामलों की सुनवाई को श्रीनगर स्थित हाईकोर्ट विंग से जम्मू स्थानांतरित करने की सीबीआई की मांग का नोटिस लेते हुए सभी आरोपितों को एक दिन के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई 11 मार्च को होनी है।
इस पर जेकेएलएफ प्रवक्ता ने कहा कि जिस तरह से हाईकोर्ट ने रुबिया सईद और एयरफोर्स अधिकारियो पर हमले की सुनवाई के मामले में एक दिन का नोटिस दिया है और उसके बाद जिस तरह से यासीन मलिक पर पीएसए लगाया गया है, वह साफ करता है कि हिंदुस्तान की सरकार हताश हो चुकी है। वह कश्मीरियों की आजादी की मांग को दबाने के लिए उनके नेताओं पर ताकत का इस्तेमाल कर रही है। यह निंदनीय है। इससे हम झुकने वाले नहीं हैं।
बता दें कि सरकार ने अलगाववाद को आडे हाथ लिया है। यासीन मलिक पर पीएसए लगाने से पहले राज्य प्रशासन ने जमात ए इस्लामी के प्रमुख प्रवक्ता एडवोकेट जाहिद अली और जमात के दक्षण कश्मीर के प्रमुख नेता मुफती मुजाहिद शब्बीर फलाही को भी पीएसए के तहत बंदी बना, जम्मू की जेल में स्थानांतरित किया है।