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ग्‍वालियर व कटनी में दुष्‍कर्म के 2 मामलों में फांसी की सजा, कटनी में महज 5 दिन में फैसला

मध्य प्रदेश में दुष्कर्म और दुष्कर्म की हत्या के दो मामलों में शुक्रवार को दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 09:53 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 10:03 PM (IST)
ग्‍वालियर व कटनी में दुष्‍कर्म के 2 मामलों में फांसी की सजा, कटनी में महज 5 दिन में फैसला
ग्‍वालियर व कटनी में दुष्‍कर्म के 2 मामलों में फांसी की सजा, कटनी में महज 5 दिन में फैसला

ग्वालियर/कटनी(नईदुनिया)। मध्यप्रदेश में दुष्कर्म और दुष्कर्म के बाद हत्या के दो मामलों में शुक्रवार को दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। कटनी में पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में महज 5 दिन में सजा सुनाई गई। ग्वालियर में 6 साल की मासूम से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। मामले में 37 दिन में फैसला आया।

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चॉकलेट के बहाने ले जाकर किया दुष्कर्म, गुनाह छिपाने कर दी हत्या

ग्वालियर में विशेष सत्र न्यायाधीश अर्चना सिंह ने शुक्रवार को 6 साल की मासूम परी (परिवर्तित नाम) के साथ दुष्कर्म कर हत्या करने वाले जितेन्द्र कुशवाह पुत्र रामप्रसाद कुशवाह निवासी मांडरे की माता आमखो को दुष्कर्म व हत्या की धाराओं में दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि दोषी के गले में फंदा डालकर जब तक लटकाया जाए, तब तक उसके प्राण नहीं निकल जाएं। हाई कोर्ट से सजा कंफर्म होने के बाद सजा का क्रियान्वयन किया जाए। वहीं, मासूम के पिता ने फैसले पर कहा कि मुझे भगवान पर पूरा भरोसा था और दोषी का पाप का घड़ा फूट गया है। फांसी की सजा दिए जाने से मैं संतुष्ट हूं, मेरी बेटी को न्याय मिला है।

न्यू विजय नगर आमखो स्थित सामुदायिक भवन में 20 जून को आयोजित शादी समारोह में जितेन्द्र बिन बुलाए पहुंचा था। पानी के स्टाल के पास से चॉकलेट देने के बहाने वह 6 साल की मासूम को अपने साथ ले गया। उसके बाद कैंसर पहाड़ी के जंगल में मासूम के साथ दुष्कर्म किया।

अपराध छिपाने के लिए मासूम की भीभत्स तरीके से हत्या कर दी और शव झाड़ियों में फेंक दिया। 21 जून को मासूम का शव मिला। पुलिस ने 12 दिन में जांच खत्म कर कोर्ट में 2 जुलाई को चालान पेश किया, जिसके बाद कोर्ट में प्रतिदिन गवाही चली।

शुक्रवार को कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जितेन्द्र से कहा कि तुम्हें अपराध में दोषी पाया है। अपने बचाव में कुछ कहना चाहते हो। उसने कोर्ट से कहा कि मैं अपनी भाभी के साथ डबरा में था, मैंने कोई अपराध नहीं किया। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया, जिससे साबित हो सके कि तुम डबरा में थे। कोर्ट ने उसे फांसी की सजा का फैसला पढ़कर सुनाया। सजा सुनकर वह शांत बैठ गया। घटना के 37 दिन में कोर्ट ने फैसला सुनाया। मामले में 11 दिन में 33 गवाह पूरे करा दिए।

आगे क्या

- अधिवक्ता सोमवीर सिंह यादव के अनुसार धारा 366 के तहत पूरा रिकॉर्ड हाई कोर्ट के प्रिंसीपल रजिस्ट्रार के पास भेजा जाएगा। उसके बाद फांसी की सजा को हाई कोर्ट कंफर्म करेगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने में 30 दिन लगेंगे। अगर वह अधीनस्थ न्यायालय के फैसले पर अपील दायर कर चुनौती देता है, तब तक उसकी फांसी कंफर्म नहीं होगी। हाई कोर्ट से फांसी कंफर्म होने के बाद फांसी तारीख तय की जाएगी।

- हाई कोर्ट से सजा कंफर्म होने के बाद दोषी के पास सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने का अधिकार रहेगा। अगर सुप्रीम कोर्ट से उसे कोई राहत नहीं मिलती है तो राष्ट्रपति के पास मामला ले जा सकता है।

कोर्ट ने यह कहा

दोषी ने अपनी काम पिपासा शांत करने के लिए एक अबोध बालिका को शिकार बनाया। उस अबोध ने कितनी पीड़ा सही होगी, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। दंड से बचने के लिए उसने निर्ममता से हत्या कर दी। उसे अपने इस कृत्य को लेकर कोई पछतावा भी नहीं है, न इस गंभीर अपराध का उस पर प्रभाव पड़ा है। ठंडे दिमाग से घटना को अंजाम दिया। उसकी इस घटना से संपूर्ण समाज की आत्मा कांप गई। समाज न्यायालय से उम्मीद करता है कि जघन्य व घृणित अपराध के लिए आरोपित को कठोर से कठोर दंड दे अन्यथा एक दिन दहेज जैसी कुरीतियों के समान इस प्रकार के अपराध कन्या भ्रूण की नींव बनने लगेंगे।

पांच साल की बच्‍ची से की थी हैवानियत

कटनी में पांच साल की बच्‍ची से दुष्कर्म के मामले में दोषी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। मप्र सरकार के विशेष अधिनियम 2018 के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में महज पांच दिन में सुनवाई पूरी करते हुए फांसी की सजा देने का देश में संभवत: अपनी तरह का यह पहला मामला है।

कोतवाली थाना अंतर्गत पांच वर्षीय बच्‍ची के परिजन ने 6 जुलाई की रात थाने में शिकायत की थी कि उनकी बधाी के साथ 4 जुलाई को स्कूल ले जाते समय ऑटो चालक राजकुमार कोल (34) ने सूने इलाके में दुष्कर्म किया।

ऑटो चालक को धारा 376 (2 आई) व पॉक्सो एक्ट के तहत 7 जुलाई को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने मामले की डायरी 12 जुलाई को कोर्ट में पेश की थी। 23 जुलाई से मामले की सुनवाई शुरू हुई। षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश माधुरी राजलालजी ने पांच दिन चली सुनवाई के बाद शुक्रवार को फैसला सुना दिया। पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी हनुमंत किशोर शर्मा और डीएस तारम ने की।

तीन दिनों तक सिर्फ एक ही सुनवाई

मामले में 12 जुलाई को कोर्ट में चालान पेश किया गया। उसी समय कोतवाली थाना प्रभारी शैलेष मिश्र ने कोर्ट से निर्धारित समय सीमा में सुनवाई की गुहार की। कोर्ट ने भी सुनिश्चित करने को कहा वारंट जारी होते ही सारे गवाह कोर्ट में मौजूद रहे। इसमें सबसे खास बात यह रही कि पुलिस के आग्रह पर सभी गवाह निर्धारित दिनों में गवाही देने पहुंच गए। कोर्ट ने तीन दिन तक इस मामले की सुनवाई के अतिरिक्त किसी अन्य मामले की सुनवाई नहीं की।

टाइम लाइन

- 4 जुलाई को ऑटो चालक ने मासूम बच्‍ची से दुष्कर्म किया।

- 6 तारीख को पीड़िता के परिजन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

- 7 जुलाई को आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में किया पेश। जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

- 12 जुलाई को पुलिस ने मामले की डायरी न्यायालय में पेश की थी।

- 23, 24-25 जुलाई को डॉक्टर, पुलिस, पीड़िता, पीड़िता के परिजन की गवाही व आरोपित युवक के बयान दर्ज किए गए। इस दौरान कुल 21 गवाहों के बयान हुए।

- 26 को मामले की सुनवाई पूरी हुई।

- 27 जुलाई को आरोपित युवक को फांसी की सजा सुनाई गई।


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