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चक्रवात के दौरान मछुआरों को संदेश भेजना हुआ आसान, 'जेमिनी' के जरिये भेजे जाएंगे संदेश

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने तैयार की जेमिनी नाम की डिवाइस मोबाइल रेंज से दूर होने पर भी भेजा जा सकेगा मछुआरों को अलर्ट।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 11:47 PM (IST)
चक्रवात के दौरान मछुआरों को संदेश भेजना हुआ आसान, 'जेमिनी' के जरिये भेजे जाएंगे संदेश
चक्रवात के दौरान मछुआरों को संदेश भेजना हुआ आसान, 'जेमिनी' के जरिये भेजे जाएंगे संदेश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दो साल पहले समुद्री चक्रवात ओखी के समय देश में जिसकी कमी शिद्दत से महसूस की गई थी, उसे हासिल कर लिया गया है। अब समुद्र में मोबाइल रेंज से बाहर जाने पर भी मछुआरों को अलर्ट भेजा जा सकेगा। इसके लिए मछुआरों को अपने पास स्मार्ट फोन रखना होगा। दावा है कि इस प्रणाली को विकसित करने वाला भारत पहला देश बन गया है। देश में समुद्री चक्रवात ओखी 2017 में आया था। जिसमें मोबाइल रेंज से बाहर होने के चलते बड़ी संख्या में मछुआरों को समय पर चक्रवात की सूचना नहीं मिल पाई थी। जिससे जानमाल का काफी नुकसान हुआ था।

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केंद्रीय विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को जेमिनी नाम की इस तकनीक को लांच किया। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना केंद्र और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सहयोग से तैयार की गई इस खास प्रणाली की मदद से उपग्रह को संदेश भेजे जाते हैं। यह उपग्रह गगन प्रणाली के हैं। जिसमें जीसेट-8, जीसेट-10 और जीसेट-15 शामिल है। इन उपग्रहों के जरिये वह ऐसे संदेश ब्लूटूथ के माध्यम से मोबाइल पर भेजता है। हालांकि इसके लिए मोबाइल में जीपीएस होना जरूरी है। यह सूचना ¨हदी, अंग्रेजी के साथ नौ क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्राप्त होगी।

मत्स्य विभाग से डिवाइस देने को कहा गया

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के महानिदेशक सतीश के शिनाय ने बताया कि समुद्र में मछली पकड़ने वाले मछुआरे अक्सर समुद्र में 10 से 12 किमी दूर तक चले जाते हैं। ऐसे में वह मोबाइल रेंज से दूर हो जाते है। जिसके चलते उनके पास सामान्य रूप से भेजे जाने वाले मोबाइल अलर्ट संदेश नहीं पहुंच पाते हैं। मत्स्य विभाग से संपर्क कर सभी मछुआरों को जल्द ही डिवाइस प्रदान करने के लिए कहा है। ताकि वह इस सुविधा का लाभ ले सके।

जापान सहित कई देशों ने दिखाई रुचि

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक अपनी तरह की अनूठी तकनीक विकसित करने के साथ ही दुनिया के तमाम देशों से इसकी मांग शुरू हो गई है। फिलहाल जापान, आस्ट्रेलिया सहित यूरोप के कुछ देशों ने संपर्क किया है। मेक इन इंडिया के तहत इस डिवाइस का उत्पादन किया जाएगा। इसके तहत बेंगलुरु की एक निजी फर्म ने इसका डिजाइन तैयार की है।


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