'सेल्फी विद गड्ढा' अभियान, जर्जर सड़कों की ओर प्रशासन का ध्यान खींच रहा अनूठा तारीका
छत्तीसगढ़ में खराब सड़कों को लेकर स्थानीय स्तर पर कई बार धरना-प्रदर्शन करने के बाद भी कोई लाभ नहीं होने पर एक समाजसेवी संगठन ने सोशल मीडिया में सेल्फी विद गड्ढा का अभियान छेड़ दिया।
कोरबा, देवेंद्र गुप्ता। अगर कुछ बदलाव लाना है, तो लोगों को खुद कुछ कदम उठाने पढ़ते हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में खराब सड़कों को लेकर स्थानीय स्तर पर कई बार धरना-प्रदर्शन करने के बाद भी कोई लाभ नहीं होने पर एक समाजसेवी संगठन ने सोशल मीडिया में 'सेल्फी विद गड्ढा' का अभियान छेड़ दिया। खराब सड़कों के कारण मौत और दुर्घटना से आहत पूरे जिले के लोगों ने सेल्फी खींचकर पेज पर डाली है। अब सर्वश्रेष्ठ फोटो पर पुरस्कार की भी घोषणा की गई है। इस अनोखी प्रतिस्पर्धा में 3,500 तस्वीरें पहुंच चुकी हैं। जिले की खराब सड़कों की सामने आईं तस्वीरें प्रशासन को शर्मसार करने के लिए काफी है।
'प्रशासन को गड्ढे पर आईना दिखाना ही हमारा काम नहीं, समस्या को अंजाम तक पहुंचाने का पैगाम लेकर आए हैं।' इसी सूत्र वाक्य के साथ सामाजिक संस्था जनसंगठन ने ऊर्जाधानी की सड़कों को स्थानीय स्तर पर ठीक करने का बीड़ा उठाया है। संगठन ने खराब सड़कों को लेकर कई बार आंदोलन किए। जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा। इसके बाद भी चुप्पी नहीं टूटी तो संगठन ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। पिछले तीन साल से खराब सड़कों के बीच ही आवागमन को मजबूर लोगों से आह्वान किया गया कि यदि आप लोगों ने कीचड़ भरे रास्ते व गड्ढों पर चलना सीख लिया है, तो अपने पसंदीदा गड्ढे व खराब सड़क के बीच सेल्फी खींचकर भेजें।
जनसंगठन का यह अभियान रंग लाया और कुछ दिनों में ही 3,500 फोटोग्राफ अपलोड किए गए। इनमें 27 सर्वश्रेष्ठ सेल्फी चयनित की गई है। अब सोशल मीडिया में इन तस्वीरों में जिसे सबसे ज्यादा वोट (लाइक) मिलेंगे, उसे सोमवार को प्रथम, द्वितीय और तृतीय नकद पुरस्कार दिया जाएगा। समाजसेवी इस संगठन ने शासन-प्रशासन को मुंह चिढ़ाने वाला अभियान तो चलाया ही और अब उन गड्ढों को भी भरने का अभियान शुरू कर दिया है, जिनकी तस्वीरें भेजी गई है। जेसीबी लगाकर गड्ढे भरे जा रहे। इसमें आने वाला खर्च का वहन भी संगठन कर रहा है।
इस गड्ढे ने दिए सबसे अधिक झटके
लोगों ने भी रोचक अंदाज में सेल्फी के साथ कमेंट्स डाले। नवागांव के निर्मल दास महंत ने सड़क के गड्ढे के बीच बैठकर फोटो भेजी और कहा कि मैं यहां से रोज गुजरता हूं। इस गड्ढे ने सबसे अधिक झटके दिए हैं। यह मेरा पसंदीदा गड्ढा है। पंडित रविशंकर शुक्ल नगर के मणिकंचन केंद्र की सड़कों पर बाइक चलाते हुए वाईके शांडिल्य ने फोटो भेजकर कहा है कि अब तो मानों ऐसे रास्ते में चलने की आदत सी पड़ गई है। ऐसे ढेरों रोचक कमेंट्स के साथ फोटो भेजे गए हैं।
इन 27 जगहों से आईं तस्वीरें
जनसंगठन के संयोजक विशाल केलकर ने बताया कि जिले की करीब 27 खराब सड़कों की तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें सबसे अधिक कोरबा से चांपा, कोरबा से कटघोरा, कटघोरा से पाली, गेरवाघाट नहर मार्ग, कोरबा से दर्री, कोरबा से कुसमुंडा, सर्वमंगला से कनकी, कोहड़िया, सुतर्रा व रूमगड़ा मार्ग शामिल है। तीन साल से बदहाल सड़कों के लिए प्रशासन ने फंड स्वीकृत होने व जल्द निर्माण करने की बात कई बार कही पर स्थाई हल अब तक न निकला। आंदोलन करने पर कभी-कभी गड्ढों भरवाकर खानापूर्ति की जाती रही।
कलेक्टर किरण कौशल का कहना है कि गड्ढों को भरना कोई उपाय नहीं है। प्रशासनिक स्तर पर 15 दिन पहले सड़कों के गड्ढे भरवाए गए पर पानी में बह गए। जब तक स्थायी सीसी सड़क का निर्माण नहीं होगा, यह समस्या दूर नहीं होगी। बावजूद इसके मैंने तीन दिन के अंदर नगर निगम, पीडब्ल्यूडी व एनएच के अफसरों को बड़े गड्ढों को भरने कहा है। ज्यादातर खराब सड़कों के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है। बरसात के बाद युद्ध स्तर पर काम किया जाएगा।
जनसंगठन के संयोजक विशाल केलकर ने कहा कि सड़क से हर आम और खास आदमी जुड़ा है। यह हर किसी के जन-जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। सड़क के गड्ढे हर किसी के लिए मुसीबत बन रहे है। इस तरह आम जागरूकता के लिए कैंपेन के माध्यम से हम प्रशासन को केवल आईना ही दिखाना नहीं चाहते, बल्कि आगे आकर सड़क को सुधारने की दिशा में अपने स्तर पर काम भी कर रहे। यह सही है कि सिर्फ हमारे प्रयास से ही सड़क ठीक नहीं हो सकती, पर कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी।