Chandrayaan-2: चंद्रमा के सबसे करीब पहुंचा लैंडर विक्रम, अब लैंडिंग का इंतजार
इसरो ने बुधवार को चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सबसे निचली कक्षा में उतारने का दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया।
बेंगलुरु, एजेंसी। इसरो ने बुधवार को चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सबसे निचली कक्षा में उतारने का दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। इसरो के वैज्ञानिकों ने तड़के 3:42 बजे ऑन बोर्ड पोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सबसे निचली कक्षा में उतार दिया। दो दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम को अलग करके स्पेस के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया था। अब दुनिया को सात सितंबर को तड़के 1.55 बजे के उस पल का इंतजार है जब निर्धारित कार्यक्रम के तहत लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
Indian Space Research Organisation (ISRO): The second de-orbiting maneuver for #Chandrayan2 spacecraft was performed successfully today, beginning at 3:42 am as planned, using the on-board propulsion system. The duration of the maneuver was 9 seconds. pic.twitter.com/OK1mqtOjG2
— ANI (@ANI) September 4, 2019
कुल नौ सेकेंड की रही प्रक्रिया
भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (Indian Space Research Organisation, ISRO) ने बताया कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सबसे नजदीकी कक्षा (35x97 किलोमीटर) में ले जाने का कार्य बुधवार को तड़के तीन बजकर 42 मिनट पर सफलतापूर्वक और पूर्व निर्धारित योजना के तहत किया गया। पूरी प्रकिया कुल नौ सेकेंड की रही। अब अगले तीन दिनों तक लैंडर विक्रम चांद के सबसे नजदीकी कक्षा 35x97 किलोमीटर में चक्कर लगाता रहेगा। इन तीन दिनों तक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की जांच की जाती रहेगी।
07 सितंबर, जब बनेगा इतिहास
योजना के मुताबिक यदि सब कुछ ठीक रहा तो लैंडर विक्रम और उसके भीतर मौजूद रोवर प्रज्ञान के सात सितंबर को देर रात एक बज कर 30 मिनट से दो बज कर 30 मिनट के बीच चंद्रमा के सतह पर उतरने की उम्मीद है। लैंडर विक्रम दो गड्ढों, मंजिनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदानी हिस्से में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर लैंड करेगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान उसी दिन सुबह पांच बज कर 30 मिनट से छह बज कर 30 मिनट के बीच निकलेगा।
500 मीटर की दूरी तय करेगा रोवर प्रज्ञान
रोवर प्रज्ञान एक चंद्र दिवस यानी यानी धरती के कुल 14 दिन तक चंद्रमा की सतह पर रहकर परीक्षण करेगा। यह इन 14 दिनों में कुल 500 मीटर की दूरी तय करेगा। चंद्रमा की सतह पर लगातार 14 दिनों तक प्रयोगों को अंजाम देने के बाद रोवर प्रज्ञान निष्क्रिय हो जाएगा। यह चंद्रमा की सतह पर ही अनंत काल तक मौजूद रहेगा। प्रज्ञान से पहले चांद पर सोवियत यूनियन, अमेरिका, चीन आदि ने पांच रोवर भेजे थे जो चंद्रमा पर ही निष्क्रिय पड़े हैं। दूसरी ओर ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर उसकी परिक्रमा करता रहेगा। ऑर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में एक साल तक सक्रिय रहेगा।
...वो 15 मिनट होंगे बेहद तनावपूर्ण
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन के मुताबिक, चंद्रमा पर लैंडर के उतरने का क्षण ‘बेहद खौफनाक’ होगा क्योंकि एजेंसी ने पहले ऐसा कभी नहीं किया है। चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के वक्त लैंडर विक्रम की रफ्तार दो मीटर प्रति सेकंड होगी। भारतीय वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसकी गति को कम करते जाने की ही है। इसके लिए वैज्ञानिक धरती से भी सटीक कमांड देंगे जिसे ऑनबोर्ड सिस्टम एनालाइज करके एग्जिक्यूट करेगा। सनद रहे कि लैंडर रोवर से वैज्ञानिकों का सीधा संपर्क नहीं होगा पूरी प्रक्रिया ऑर्बिटर के जरिए संचालित होगी। यही कारण है कि वैज्ञानिक इस पूरी प्रक्रिया के 15 मिनट को बेहद तनावपूर्ण मान रहे हैं।
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