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वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल का उपयोग है सुरक्षित

संक्रमण हटाने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल में कोहरे की फुहार जैसी सूक्ष्म बूंदों के रूप में रसायनों का एक निश्चित मात्रा का छिड़काव किया जाता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2020 08:17 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 08:19 PM (IST)
वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल का उपयोग है सुरक्षित
वैज्ञानिकों का दावा, कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल का उपयोग है सुरक्षित

नई दिल्ली, आइएसडब्ल्यू। कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिए अग्रिम पंक्ति में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों, डॉक्टरों, पुलिस और अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए कुछ स्थानों पर मिस्ट सैनिटाइजर टनल का उपयोग हो रहा है। लेकिन, इस टनल में छिड़काव के लिए उपयोग होने वाले रसायन सोडियम हाइपोक्लोराइट के दुष्प्रभावों का हवाला देते हुए कई एजेंसियों ने इसके खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, अब वैज्ञानिक परीक्षण के बाद मिस्ट सैनिटाइजर टनल के उपयोग को सुरक्षित बताया जा रहा है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्टि्रयल रिसर्च (CSIR) की पुणे स्थित प्रयोगशाला नेशनल केमिकल लैबोरेटरी (NCL) के एक ताजा अध्ययन के बाद इस संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह बात कही है।

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संक्रमण हटाने के लिए मिस्ट सैनिटाइजर टनल में कोहरे की फुहार जैसी सूक्ष्म बूंदों के रूप में रसायनों का एक निश्चित मात्रा का छिड़काव किया जाता है। इस टनल के भीतर से होकर गुजरने पर सोडियम हाइपोक्लोराइट की निर्धारित मात्रा का उपयोग संक्त्रमण हटाने के लिए किया जाता है। सीएसआइआर-एनसीएल के वैज्ञानिकों ने सोडियम हाइपोक्लोराइट की विभिन्न सांद्रताओं का मूल्यांकन करने पर मिस्ट सैनिटाइजर टनल में इसके उपयोग को सुरक्षित पाया है।

ऐसे किया अध्ययन

सोडियम हाइपोक्लोराइट के प्रभाव, जिसे हाइपो या ब्लीच के रूप में भी जाना जाता है, का 0.02 से 0.5 प्रतिशत वजन की सांद्रता के साथ मिस्ट सैनिटाइजर टनल इकाई के भीतर से होकर गुजरने वाले कर्मियों पर अध्ययन किया गया है। इसके अलावा, मिस्ट सैनिटाइजर के टनल के संपर्क में आने से पहले और बाद में सूक्ष्मजीवों के खिलाफ जीवाणुरोधी गतिविधि का आकलन किया गया है।

निश्चित मात्रा में छिड़काव से नहीं पड़ता दुष्प्रभाव

द जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इन्फेक्शन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि 0.02 से 0.05 प्रतिशत वजन की सांद्रता त्वचा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना रोगाणुओं को नष्ट कर सकती है। इसी आधार पर, वैज्ञानिक मिस्ट सैनिटाइजर में 0.02 से 0.05 प्रतिशत वजन की सांद्रता में हाइपोक्लोराइट का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। संक्रमण के संपर्क की अलग-अलग प्रकृति के अनुसार वैज्ञानिकों ने हाइपोक्लोराइट की विभिन्न सांद्रताओं की सिफारिश की है। हाइपोक्लोराइट की 0.5 प्रतिशत सांद्रता के मिश्रण के छिड़काव की सिफारिश उन लोगों पर करने के लिए की गई है, जो अधिक आबादी के बीच रहकर कोविड-19 के खिलाफ काम कर रहे हैं। इसी तरह, 0.2 प्रतिशत मात्रा का उपयोग सामान्य कार्यालयों या फैक्टरी में किया जा सकता है।

हाथ धोना जरूरी

सोडियम हाइपोक्लोराइट के दुष्प्रभाव न होने के बावजूद सीएसआइआर-एनसीएल के वैज्ञानिकों ने कहा है कि टनल से गुजरने के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से फेस शील्ड या सेफ्टी गॉगल्स का उपयोग किया जा सकता है। टनल से गुजरकर सैनिटाइज करने की प्रक्ति्रया हैंड-सैनिटाइजर या साबुन से हाथ धोने के बाद पूरी होती है।

आठ सेकंड का लगता है समय

मुंबई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (ICT) के शोधकर्ताओं ने इस तरह के रसायनों के छिड़काव के लिए खास नोजल डिजाइन किए हैं, जिन्हें आवश्यकता के अनुसार उपयोग किया जा सकता है। सैनिटाइजर टनल में एक व्यक्ति को संक्रमण मुक्त करने में औसतन आठ सेंकंड का समय लगता है। अगर 0.5 प्रतिशत सॉल्यूशन का मिस्ट सैनिटाइजर में आठ सेकंड तक छिड़काव किया जाए तो सिर्फ 0.00133 मिलीग्राम हाइपोक्लोराइट के संपर्क में आने की संभावना होती है। बीकेसी की 0.003 से 0.005 प्रतिशत मात्रा को कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी पाया गया है।


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