दुनिया पर 100 साल बाद फिर खतरनाक वायरस का खतरा, मंकी पॉक्स बन सकता है महामारी
मंकी पॉक्स से वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इतने ज्यादा चिंतित हैं कि उन्हें 100 साल पहले फैले स्पेनिश फ्लू की भयावहता याद आने लगी है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। ब्रिटेन में मंकी पॉक्स की बीमारी फैलने से दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं। हालांकि अभी तक सिर्फ तीन मामले ही सामने आए हैं लेकिन आशंका है कि यातायात की तेज रफ्तार सुविधाओं के विस्तार के मद्देनजर इसे फैलने में बहुत ज्यादा समय नहीं लगेगा।
अफ्रीका के जंगली जानवरों से इनसानों में फैले मंकी पॉक्स का वायरस शुरुआत में तो स्थानीय स्तर पर ही फैलता है लेकिन इस दौरान इनसानों में पाए जाने वाले दूसरे वायरस और उनके डीएनए के संपर्क में आने के बाद इस वायरस के आनुवांशिक संरचना में ऐसे बदलाव आएंगे कि यह बहुत तेजी से फैलेगा और खांसी या छींक के जरिए भी इसका संक्रमण होने लगेगा।
स्पेनिश फ्लू ने मचाया था कोहराम
मंकी पॉक्स से वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इतने ज्यादा चिंतित हैं कि उन्हें 100 साल पहले फैले स्पेनिश फ्लू की भयावहता याद आने लगी है। बता दें कि इस फ्लू से 1918 में 50 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे, जो तब की वैश्विक आबादी के एक तिहाई के बराबर था। स्पेनिश फ्लू ने इन 50 करोड़ लोगों में से पांच करोड़ की जान ले ली थी। इसके बाद से ही वैज्ञानिक इनफ्लूएंजा वायरस के अगले आक्रमण के बारे में आशंका जताते रहे हैं। लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि अगला जानलेवा वायरस फ्लू का नहीं होगा बल्कि पॉक्स का होगा।
संक्रमण की संभावना बढ़ी
सौ साल पहले दुनिया की आबादी डेढ़ अरब थी जो अब सात अरब हो चुकी है। इसके अलावा 100 साल पहले के मुकाबले आज घनी आबादी वाले शहरों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। यही नहीं, हवाई यात्रा के विस्तार के कारण भी लोगों के मिलने-जुलने की बारंबारता बढ़ी है। इन वजहों से इस वायरस से प्रभावित लोगों के दूसरों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ गई है।
चालीस साल पूर्व स्माल पॉक्स पर काबू
आज से चालीस साल पहले यानी 1980 के दशक में स्माल पॉक्स यानी चेचक पर काबू पा लिया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के टीकाकरण कार्यक्रम के कारण इस पर विजय पाना संभव हुआ था, लेकिन अब फिर एक नए पॉक्स का खतरा मंडरा रहा है। मंकी पॉक्स दरअसल स्माल पॉक्स वायरस के करीबी रिश्तेदार की तरह है। ब्रिटेन से पहले पिछले साल नाइजीरिया में इस वायरस के फैलने की खबर आ चुकी है।
सत्तर साल पहले सामने आया था मंकी पॉक्स
मंकी पॉक्स के बारे में सबसे पहले 1950 के दशक में पता चला था। अफ्रीका में डॉक्टरों ने कुछ मरीजों में स्माल पॉक्स जैसे लक्षण देखे लेकिन इसका संक्रमण उतना खतरनाक नहीं था। मौजूदा समय में नाइजीरिया मंकी पॉक्स से सबसे ज्यादा प्रभावित है। पिछले साल वहां डेढ़ सौ से ज्यादा केस सामने आए, जिनमें से सात लोगों की मौत हो गई।