वैज्ञानिक संस्था आइसीएमआर के प्रमुख बोले, अभी भारत में महामारी नहीं बना है कोरोना वायरस
चिकित्सा अनुसंधान से जुड़ी देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्था आइसीएमआर ने कहा है कि कोरोना वायरस अभी भारत में महामारी नहीं बना है। जानें क्या दी है चेतावनी...
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण भले ही पूरे देश में शिक्षण संस्थानों, सिनेमाघरों को बंद और सार्वजनिक कार्यक्रमों को स्थगित किया जा रहा हो, लेकिन इससे निपटने में जुटे वैज्ञानिकों की मानें तो भारत में अभी महामारी जैसे हालात नहीं हैं। विदेश से आने वालों की अनिवार्य जांच और अलग-थलग रखने से लेकर तमाम प्रतिबंधों को जरूरी बताते हुए चिकित्सा अनुसंधान से जुड़ी देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्था आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि इस वायरस से बच्चे से लेकर युवा तक कोई भी ग्रसित हो सकता है और उनसे दूसरे में फैल भी सकता है। लेकिन बुजुर्ग या पहले से बीमार व्यक्ति के ग्रसित होने की स्थिति में यह घातक साबित हो सकता है।
एहतियात बहुत जरूरी
कोरोना को लेकर ज्यों-ज्यों एहतियाती कदम सख्त किए जा रहे हैं, वैसे-वैसे थोड़ा भय का माहौल भी बनता जा रहा है। मुंबई के एक बड़े स्कूल ने तो बच्चों के शहर से बाहर नहीं जाने और मुंबई से बाहर के किसी व्यक्ति को घर नहीं आने देने की हिदायत जारी कर दी है। ऐसा होने की स्थिति में स्कूल ने बच्चे को 14 दिन अलग-थलग रखने का निर्देश दिया है। दैनिक जागरण के एक सवाल के जवाब में बलराम भार्गव ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को 14 दिन तक अलग-थलग रखना तभी जरूरी है जब वह किसी कोरोना वायरस से ग्रसित इलाके से आया हो या फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया हो।
इसलिए है बेहद खतरनाक
भार्गव ने कहा कि सामान्य स्थिति में देश के भीतर आने-जाने वालों को अलग-थलग रखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से ग्रसित चीन, ईरान और डायमंड प्रिंसेस क्रूज से एक हजार से अधिक लोगों को 14 दिन के लिए अलग-थलग रखा गया था। उनमें से किसी में भी कोरोना के वायरस नहीं पाए गए, लेकिन एहतियात जरूरी है। एक सवाल के जवाब में डॉ. भार्गव ने कहा कि यह वायरस युवा और बुजुर्ग किसी में भी जा सकता है और उनसे संपर्क में आने वालों में फैल सकता है। यह भी जरूरी नहीं है कि वायरस उसी में हो जिनमें सर्दी-जुकाम और बुखार जैसे इसके लक्षण दिखते हों। कई मामलों में इन लक्षणों को 14 दिन तक पनपते देखा गया है।
शिक्षण संस्थाओं को बंद करने जैसे कदमों को बताया सही
देश में यह महामारी का रूप नहीं ले पाया है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत में अभी तक कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसफर का कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों के संपर्क में आने के दो मामलों में कुछ लोगों को इससे ग्रसित पाया गया है। यह किसी वायरस के फैलने का दूसरा चरण है। डॉ. भार्गव के अनुसार भारत में उठाए जा रहे सभी कदम कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसफर के स्टेज तीन तक पहुंचने से रोकने के हैं। एक बार कम्युनिटी ट्रांसफर की स्थिति में पहुंचने के बाद वायरस महामारी का रूप धारण कर लेता है। जैसा कि चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ईरान और इटली के साथ-साथ कई यूरोपीय देशों में देखा जा रहा है।
वैक्सीन बनाने में लगेगा एक साल
डॉ. भार्गव ने कहा कि अभी तक कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है और वैक्सीन आने में कम-से-कम एक साल का समय और लग सकता है। ऐसे में इस वायरस को जितना फैलने से रोका जाए उतना ही बेहतर होगा। भार्गव ने कहा कि इस वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जा चुके हैं। देशभर में 67 लेबोरेटरी में हर दिन कोरोना वायरस के छह हजार से अधिक मामलों की जांच की क्षमता स्थापित की गई है। लेकिन अभी केवल 60-70 मामलों की ही जांच की रही है। इसके अलावा देश के मेडिकल कालेजों, बायोटेक्नोलॉजी विभाग और राज्यों के अंतर्गत आने वाले हजारों लेबोरेटरी को जांच के लिए तत्काल तैयार किया जा सकता है। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने कोरोना वायरस की जांच के लिए सस्ती किट भी तैयार कर ली है। पुणे स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राहम ने कहा कि दो कंपनियों ने अपनी किट को सत्यापित कराने के लिए भेजा है। कोरोना वायरस की सटीक पहचान कर पाने की इसकी क्षमता की जांच की जा रही है।
वायरस की कुंडली बनाने वाला भारत पांचवां देश
भारत अभी तक न सिर्फ कोरोना वायरस के महामारी का रूप धारण करने से रोकने में सफल रहा है, बल्कि इस वायरस की कुंडली तैयार करने वाला पांचवां देश भी बन गया है। भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान और थाईलैंड ने इसकी कुंडली बनाई है। वायरस की कुंडली बनाने के साथ ही भारत इसके लिए वैक्सीन बनाने की स्थिति में भी पहुंच गया है। लेकिन वैक्सीन के लिए पहले जानवरों पर तीन-चार महीने और फिर छह से आठ महीने का क्लीनिकल ट्रायल अनिवार्य प्रक्रिया है। जाहिर है वैक्सीन बनने में कम-से-कम एक साल का समय लग सकता है। भार्गव ने कहा कि वैक्सीन बनाने के लिए आइसीएमआर के पास पर्याप्त धन है। इसके साथ ही नीपा वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करने का अनुभव भी है। कोरोना वायरस से निपटने के लिए सरकार ने आइसीएमआर को 20 करोड़ रुपये और दिए हैं।