राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान से स्कूल, डाकघर, स्वास्थ्य केंद्र व थाने बनेंगे स्मार्ट
इंटरनेट की पहुंच और स्पीड के मामले में भारत अभी भले ही विकसित देशों के मुकाबले पीछे है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंटरनेट की पहुंच और स्पीड के मामले में भारत अभी भले ही विकसित देशों के मुकाबले पीछे है। लेकिन शीघ्र शुरू होने वाले राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान से स्थिति में बड़ा बदलाव होने वाला है। इससे शहरों की भांति गांवों के लोग भी कंप्यूटर और स्मार्टफोन के जरिए सरकारी स्कीमों का लाभ उठाकर अपनी पढ़ाई-लिखाई, नौकरी-कारोबार और खेती-बाड़ी का विकास कर अपना भविष्य संवार सकेंगे।
-सवा लाख डाकघरों, एक लाख स्कूलों, 50 हजार स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचेगा ब्रॉडबैंड
-ऑप्टिक केबल व पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट से बदलेगी गांवों की दुनिया
दूरसंचार आयोग ने पिछले दिनो कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें एक निर्णय है ब्रॉडबैंड के विस्तार का है। इसके तहत भारतनेट के तहत देश के की ढाई लाख ग्राम पंचायतों और सवा छह लाख गांवों को ऑप्टिक फाइबर केबल से जोड़ने के साथ सवा लाख डाकघरों, एक लाख स्कूलों, पचास हजार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 25 हजार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और दस हजार पुलिस थानों में कुल सात लाख पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए जाएंगे। हर गांव में कम से कम एक तथा हर पंचायत में 2-5 तक हॉट स्पॉट स्थापित करने का प्रस्ताव है।
इसके लिए सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तर्ज पर शीघ्र ही एक राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान की शुरुआत करने जा रही है। यही नहीं, ग्रामीण इलाकों में ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाने में आने वाली जमीन संबंधी बाधाओं तथा विवादों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय फाइबर प्राधिकरण की स्थापना भी की जाएगी। यह नियामक के तौर पर कार्य करेगा।
एक अनुमान के अनुसार अभी देश में केवल 33 फीसद लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इसमें भी केवल 15-16 फीसद लोग आनलाइन शॉपिंग और मात्र 2-3 फीसद लोग रिटेल शापिंग के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। सभी गांवों तक ब्रॉडबैंड पहुंचने पर इंटरनेट के उपयोग में दस फीसद की बढ़ोतरी होने की आशा है। इससे भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 3.3 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है।
यही वजह है कि सरकार राष्ट्रीय ब्राडबैंड अभियान को लेकर गंभीर है। इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के अलावा शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए पृथक ब्रॉडबैंड नीति भी लाई जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जहां शहरों में इंटरनेट के साथ मुख्यतया स्पीड की समस्या है। वहीं गांवों में कनेक्टिविटी और स्पीड दोनो की चुनौती है। पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट से दोनो का समाधान होगा। जहां मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट जैसे सार्वजनिक स्थानों के हॉटस्पॉट पर वाई-फाई की सुविधा सुविधाजनक पैकेजों में कमर्शियल दरों पर उपलब्ध होगी। वहीं ग्रामीण इलाकों में सरकार यह सुविधा अत्यंत रियायती दरों पर उपलब्ध कराएगी।
इंटरनेट स्पीड का आकलन करें तो अभी भारत के विभिन्न राज्यों में डाउनलोड की औसत स्पीड 3-30 एमबीपीएस के बीच है। जहां कर्नाटक व दिल्ली में यह क्रमश: 24-29 एमबीपीएस और 20-25 एमबीपीएस है, वहीं मिजोरम त्रिपुरा में केवल 1-3.6 एमबीपीएस व 3-5 एमबीपीएस। उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में औसत डाउनलोड स्पीड 12-18 व 13-20 एमबीपीएस के बीच है।