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30 साल बाद छत्तीसगढ़ में खुजली बनी महामारी, रोजाना अस्पताल पहुंच रहे 50 मरीज

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर के त्वचा विज्ञान विभाग की ओपीडी में रोज 200 मरीज पहुंच रहे हैं जिनमें लगभग 20 मरीज स्केबीज से पीडि़त होते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 11:00 PM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 11:00 PM (IST)
30 साल बाद छत्तीसगढ़ में खुजली बनी महामारी, रोजाना अस्पताल पहुंच रहे 50 मरीज

रायपुर, जेएनएन। बच्चों की गर्दन के नीचे के अंगों में अगर छोटे-छोटे दाने दिखें और तेज खुजली हो रही हो तो नजरअंदाज न करें। यह अति संक्रामक खुजली रोग है, जिसे मेडिकल की भाषा में स्केबीज कहते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर के त्वचा विज्ञान विभाग की ओपीडी में रोज 200 मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें लगभग 20 मरीज स्केबीज से पीडि़त होते हैं। आंबेडकर अस्पताल, जिला अस्पताल, सामुदायिक केंद्र को मिलाकर रोज 50 मरीज पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, पहली बार इतने अधिक स्केबीज पीड़ित आ रहे हैं।

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बच्चे अधिक होते हैं प्रभावित 

स्केबीज बच्चों को अधिक प्रभावित करती है। स्कूल, हॉस्टल, बोर्डिग में रहने के दौरान पीडि़त बच्चों से यह फैलती है। समय पर उपचार नहीं करने से पीडि़त मरीज के साथ पूरे परिवार को लंबे समय तक प्रभावित कर देती है। इसके लक्षण है त्वचा पर लाल चकत्ते, दाने और तेज खुजली होना।

अलग से की जा रही मॉनिटरिंग

स्केबीज पीडि़त लोगों की एम्स में मॉनिटरिंग की जा रही है। एम्स रायपुर के डर्मेटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सत्यकी गांगुली ने बताया कि ओपीडी में दो वॉलिंटियर की अलग से ड्यूटी तक लगा दी है, जो स्केबीज के मरीजों को बताते हैं कि उन्हें क्या-क्या सावधानी बरतनी है। सारकॉप्टीज स्केबियाई नामक माइट (परजीवी) से स्केबीज फैलती है। इस परजीवी का आकार घुन से भी छोटा होता है।

हर 30 साल बाद ऐसा प्रकोप 

डॉक्टरों के अनुसार इस तरह का संक्रामक रोग पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के समय जवानों में देखा गया था। यह संक्रामक के रूप में 1960 में फैला था। उसके बाद 1990 में स्केबीज का अटैक हुआ था। 2019-20 भी स्केबीज के अटैक का वर्ष माना जा रहा है।

ऐसे रखें ध्यान

-स्केबीज में पूरे परिवार का इलाज किया जाता है।

-घर की सभी चादर और कपड़ों को गरम पानी में धोने से यह इंफेक्शन खत्म होता है।

-माइट सामान्य तौर पर कुत्ते और बिल्लियों के शरीर में पाए जाते हैं।

-क्रीम हफ्ते में सिर्फ एक बार रात को सोते समय पूरा परिवार लगाएं।

-कई मरीज सिर्फ इंफेक्टेड हिस्से पर क्रीम लगाते हैं, जिससे रोग खत्म नहीं होता

घबराने की जरूरत नहीं

एम्स रायपुर के डर्मेटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यकी गांगुली ने कहा कि स्केबीज संक्रामक रोग जरूर है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। जरा भी लक्षण दिखें तो एम्स के डर्मेटोलॉजी ओपीडी में दिखाएं। यह 15 दिन में ठीक हो जाएगा।


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