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SC verdict: किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन के नाम पर अनिश्चित काल के लिए नहीं बंद की जा सकती सड़क

किसानों ने विरोध प्रदशर्न के नाम पर सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर कब्जा करके यातायात को बाधित कर रखा है जो कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक पूरी तरह से गलत है। प्रदशर्न करना मौलिक अधिकार है लेकिन यह अधिकार नियंत्रणों के अधीन है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 07:37 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 07:37 PM (IST)
किसानों ने कृषि कानून के विरोध में सड़कें बंद कर दी हैं।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब दिल्ली में सीएए कानून के खिलाफ प्रदर्शन के नाम पर शाहीन बाग में सड़क महीनों बंद रखी गयी थी। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि असहमति और विरोध प्रदशर्न व्यक्ति का अधिकार है लेकिन उसके नाम पर अनिश्चित काल के लिए सड़क बंद नहीं की जा सकती है। अब एक बार फिर सीएए की तरह ही किसानों ने कृषि कानून के विरोध में सड़कें बंद कर दी हैं जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कानून और नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला: विरोध प्रदर्शन के लिए अनिश्चितकाल के लिए सड़क बंद नहीं की जा सकती

विरोध प्रदशर्न के दौरान सड़कों को बंद करने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज से ठीक दो महीने पहले सात अक्टूबर को आया था। उस फैसले मे कोर्ट ने कहा था कि विरोध प्रदर्शन के लिए सड़क बंद करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता। अनिश्चितकाल के लिए सड़क बंद नहीं की जा सकती। प्रदर्शन एक निश्चित चिन्हित जगह पर होना चाहिए। प्रशासन को सड़क से अतिक्रमण और बाधाओं को हटाना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस प्रशासन को परिस्थिति के मुताबिक उचित कार्रवाई की छूट दी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई इस व्यवस्था को अभी दो ही महीने बीते हैं कि एक बार फिर दिल्ली के बार्डर जाम हैं और इस बार कारण कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन है। उस फैसले मे कोर्ट ने कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए। प्रदर्शन बताई गई कानूनी स्थिति के मुताबिक होना चाहिए।

शांतिपूर्ण प्रदशर्न करना और सड़क पर बिना बाधा के आना-जाना भी मौलिक अधिकार

कोर्ट ने कहा था कि उनके साथ कुछ सहानुभूति और संवाद होना चाहिए, लेकिन इन्हें बेकाबू नहीं होने दिया जा सकता। यानी कोर्ट ने उस फैसले में साफ कर दिया था कि पुलिस प्रशासन को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए यह भी बता दिया था कि अगर शांतिपूर्ण प्रदशर्न करना मौलिक अधिकार है तो सड़क पर बिना बाधा के आना-जाना भी मौलिक अधिकार है और यह अधिकार बाधित नहीं किया जा सकता।

सड़क बंद होने से बीमार व्यक्ति का जीवन का अधिकार बाधित होता है

सुप्रीम कोर्ट के वकील डीके गर्ग कहते हैं कि सार्वजनिक जगह और सड़क पर आना जाना नागरिकों को अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में आता है। सड़क बंद होने से बीमार व्यक्ति का जीवन का अधिकार भी बाधित होता है, जिसे अस्पताल पहुंचने के लिए एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है। आजकल कोरोना महामारी फैली है ऐसे में सड़क बाधित करना या भीड़ एकत्र करना और भी घातक है।

प्रदशर्न करना मौलिक अधिकार है, लेकिन यह अधिकार नियंत्रणों के अधीन है

वह कहते हैं कि प्रदशर्न करना मौलिक अधिकार है, लेकिन यह अधिकार अबाधित नहीं है यह अधिकार कुछ नियंत्रणों के अधीन है। अमित साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह अधिकार तर्कसंगत नियंत्रणों जैसे भारत की संप्रभुता और अखंडता तथा पब्लिक आर्डर के अधीन है।

पुलिस प्रशासन को सड़कों से धरना हटाना चाहिए

वे कहते हैं कि पुलिस प्रशासन को सड़कों से धरना हटाना चाहिए। सभी प्रदशर्नकारियों को बसों मे बैठाकर प्रदर्शन के लिए चिन्हित स्थान पर भेजना चाहिए। सड़कों पर इस तरह अराजकता की स्थिति नहीं हो सकती।

किसानों द्वारा सड़कों पर कब्जा करके यातायात बाधित करना गलत है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के वकील एमएल लाहौती भी कहते है कि किसानों ने विरोध प्रदशर्न के नाम पर सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर कब्जा करके यातायात को बाधित कर रखा है जो कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक पूरी तरह से गलत है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होना चाहिए और सड़कें खुलवाई जानी चाहिए। किसानों के प्रदर्शन के कारण सड़कें जाम हुए एक सप्ताह से ज्यादा बीत चुका है। एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई है, जिस पर सुनवाई होनी है।


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