नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट गौतम नवलखा की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। नवलखा कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक जेल से घर में नजरबंदी के लिए नहीं भेजा गया है। कोर्ट ने कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में गौतम नवलखा की अर्जी के साथ शुक्रवार को एनआईए की याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने नवलखा की ओर से पेश एक वरिष्ठ वकील की दलीलों पर ध्यान दिया कि शीर्ष अदालत के उन्हें नजरबंद रखने के निर्देश का अब तक पालन नहीं किया गया है। एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी ने अपने घर का पता देने के बजाय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय का पता दिया है। इसके अलावा एक अलग याचिका भी दायर की जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी और आरोपी दोनों की याचिकाओं को न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक साथ सूचीबद्ध किया जाएगा।
जानें- क्या है मामला
शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर को 70 वर्षीय नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण नजरबंद करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि नवलखा को तलोजा जेल से रिहा करके नजरबंद रखा जाए। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कई शर्तें भी तय की हैं। जानकारी के मुताबिक, अदालत ने नवलखा को अपनी पार्टनर सहबा हुसैन के साथ रहने की इजाजत दे दी है। नवलखा को पुलिस अधिकारियों की ओर से मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे वह रोजाना पांच मिनट अपने परिवार से बात कर सकेंगे। वहीं, पुलिस अधिकारियों को फोन कॉल की निगरानी करने और रिकॉर्ड रखने का अधिकार दिया गया है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने आदेश दिया कि खर्च का ड्राफ्ट पुलिस कमिश्नर के ऑफिस में जमा कराया जाए।
इन शर्तों का भी करना होगा पालन
बता दें कि गौतम नवलखा नवी मुंबई में एक महीने के लिए नजरबंद रहेंगे। इस दौरान वह किसी भी तरह के संचार उपकरण यानी लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा वह न तो मीडिया से बात करेंगे और न ही मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से बातचीत करेंगे।