प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में SC ने अटॉर्नी जनरल से मांगी मदद, 2 अक्टूबर को अगली सुनवाई
सीनियर वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 का अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की मदद मांगी है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में मदद मांगी। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में पेश होने को कहा। कोर्ट ने मामले में विचार करने और सवाल तय करने में अटॉर्नी जनरल से मदद करने को कहा है। जस्टिस ए.एम खानविल्कर की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना ने मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की।
2009 के एक साक्षात्कार का है मामला
2009 में एक पत्रिका में प्रकाशित प्रशांत भूषण के साक्षात्कार के मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस खानविल्कर की अगुवाई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई को 12 अक्टूबर तक स्थगित कर दिया। इस साक्षात्कार में प्रशांत भूषण ने कहा था कि 16 पूर्व चीफ जस्टिस में से आधे भ्रष्टाचारी थे। वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने से पहले कोर्ट पहले ये तय करेगा कि भूषण के शब्द ‘भ्रष्टाचारी' कोर्ट की अवमानना माना जाएगा या नहीं। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था जिसमें कहा गया है कि जजों में भ्रष्टाचार सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि अपने पद का गलत लाभ लेना, भाई-भतीजावाद जैसी कई बातें इसके दायरे में आती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का रूल '10'
प्रशांत भूषण की ओर से एडवोकेट राजीव धवन से मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने मामले में एमिकस क्यूरी के बारे में सवाल किया था। पिछली बार धवन ने जवाब दिया था, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने संकेत दिया था कि वे कोर्ट की मदद करेंगे और इसके लिए कोर्ट को नोटिस भेजने को कहा। धवन ने बताया, ' सुप्रीम कोर्ट के रूल 10 के अनुसार, अटॉर्नी जनरल को निमंत्रित करना होता है। कोर्ट ने कहा था कि यह और भी सवालों को जोड़ेगा।' इसके बाद बेंच ने अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में उपस्थित होने का नोटिस भेजा और मदद मांगी।
इससे पहले जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा था। जस्टिस अरुण मित्रा ने इस मामले को देखने से इनकार करते हुए कहा था कि वो रिटायर हो रहे हैं इसलिए इसे संवैधानिक पीठ को भेजा जाए या नहीं, नई बेंच तय करेगी।