ममता बनर्जी को बर्खास्त करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में खारिज, CAA पर की थी रेफरेंडम की मांग
ममता बनर्जी ने एनआरसी और सीएए पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की निगरानी में जनमत संग्रह कराने की मांग की थी।
नई दिल्ली, एएनआई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बर्खास्त करने की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर मतता बनर्जी द्वारा दिए विवादित बयान को लेकर हटाने की मांग की गई थी।
एक पत्रकार द्ववारा दायर याचिका में कहा गया था कि सीएए और एनआरसी पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह की मांग करने को लेकर ममता बनर्जी को हटाने के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को निर्देश दिया जाए।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने पत्रकार वाराकी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए उन्हें उच्च न्यायालय का रुख करने की सलाह दी। पीठ ने कहा, 'हम इससे इनकार नहीं कर रहे हैं कि यह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन पहले आप उच्च न्यायालय में जाएं।'
While refusing to interfere with the petition of the journalist, Varaaki, a bench of the Apex Court, headed by Chief Justice of India (CJI) Sharad Arvind Bobde, observed, "We are not denying it is not important. Go to the High Court". https://t.co/lgajLiRWuA" rel="nofollow — ANI (@ANI) January 31, 2020
याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान की अनुसूची III मुख्यमंत्री को 'देश की संप्रभुता और अखंडता' के खिलाफ बयान नहीं देने के लिए बाध्य करती है। याचिका में कहा गया है, 'वह अब पद संभालने की पात्र नहीं हैं। बनर्जी ने पहले सीएए मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की सहायता के लिए जनमत संग्रह की मांग की थी।
क्या कहा था ममता बनर्जी ने?
नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के विरोध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर भाजपा में हिम्मत है तो वह एनआरसी और सीएए पर संयुक्त राष्ट्र (UN) की निगरानी में जनमत संग्रह कराए। हालांकि, बाद में अपनी मांग से पलटते हुए ममता ने यह भी कहा था कि उनका मतलब मानवाधिकार आयोग जैसे किसी निकाय की देखरेख में ओपिनियन पोल कराने से था।