CLAT 2018: सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट परीक्षा रद करने की मांग ठुकराई
कोर्ट ने 4690 छात्रों को हुए कुल समय के नुकसान और उनके प्रश्न हल करने के औसत के हिसाब से अतिरिक्त अंक देने का निर्देश दिया है।
By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 11:38 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 12:19 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते कानून की पढ़ाई में प्रवेश की क्लैट परीक्षा रद करने की मांग खारिज कर दी है। साथ ही क्लैट की पहले दौर की शुरू हो चुकी काउंसलिंग मे भी दखल देने से इन्कार कर दिया है। लेकिन आनलाइन परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ियों के चलते नुकसान उठाने वाले छात्रों के साथ भी इंसाफ किया है। कोर्ट ने ऐसे 4690 छात्रों को हुए कुल समय के नुकसान और उनके प्रश्न हल करने के औसत के हिसाब से अतिरिक्त अंक देने का निर्देश दिया है। इन छात्रों के आंकलन के बाद दोबारा मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी और दूसरे दौर की काउंसलिंग उसी के आधार पर होगी।
ये आदेश न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने परीक्षा रद करने की मांग वाली छात्रों की याचिकाएं निपटाते हुए दिए। कोर्ट ने क्लैट परीक्षा में हुई तकनीकी गड़बड़ियों पर भी गहरी नाराजगी जताई और केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को कमेटी गठित कर इसकी जांच कराने का निर्देश दिया है। छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर क्लैट की गत 13 मई को हुई आनलाइन परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए परीक्षा रद कर नये सिरे से परीक्षा कराए जाने की मांग की थी। याचिका में मुख्यता आरोप लगाए गये थे कि कई जगह स्क्रीन पर प्रश्न पत्र नही दिखे। बार बार कंप्यूटर बंद हो रहा था। इसी तरह की कई समस्याएं बताई गई थीं जिससे छात्रों ने समय का नुकसान होने और पिछड़ने का आरोप लगाया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही छात्रों की शिकायतों की जांच करने के लिए एक कमेटी गठित हुई थी जिसने मामले में जांच करके कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी और तकनीकी गड़बड़ियों से 4690 छात्रों के प्रभावित होने की बात कही थी। हालांकि गड़बड़ियों के चलते समय बर्बाद होने की प्रत्येक छात्र की दर अलग अलग है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पूरी परीक्षा रद करने की मांग खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा रद करने से बाकी छात्रों को बड़ी परेशानी होगी। इसके बजाए जिन छात्रों को परेशानी हुई है और समय बर्बाद हुआ है उनकी परेशानियों की भरपाई करने का कोई तरीका अपनाया जाना ज्यादा ठीक है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वीवी गिरि की ओर से छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के फार्मूले को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि छात्रों की प्रश्नपत्र हल करने की क्षमता और हुए नुकसान का आंकलन करते हुए औसत निकाल कर अतिरिक्त अंक दिये जाएं। कोर्ट ने कहा कि गड़बडि़यों की शिकायत करने वाले 4690 छात्रों का आंकलन का काम 15 जून तक पूरा करके नयी मेरिट लिस्ट तैयार की जाए। ये प्रक्रिया नेशनल यूनीवर्सिटी आफ एडवांस लीगल स्टडीज पूरी करेगी और प्रक्रिया पूरी होने के बाद 16 जून को लिस्ट वेबसाइट पर डाली जाएगी। कोर्ट ने कहा कि गत 10 जून को शुरू हो चुकी पहले दौर की काउंसलिंग डिस्टर्ब नहीं की जाएगी। नयी मेरिट लिस्ट दूसरे दौर की काउंसलिंग में आधार होगी।
कोर्ट ने परीक्षा में गड़बडि़यों पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ऐसे इंतजाम किये जाए कि भविष्य मे दोबारा इस तरह की घटना न हो। कोर्ट ने पूरे मामले की जांच करके कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट 2018 की पुन: परीक्षा का आदेश देने या देश के 19 प्रतिष्ठित नेशनल लॉ कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया रोकने का आदेश देने से इंकार कर दिया था। यह परीक्षा 13 मई को हई थी और इसमें तकनीकी खामियों का आरोप लगाते हुए शिकायतें की गई थीं।
ये आदेश न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने परीक्षा रद करने की मांग वाली छात्रों की याचिकाएं निपटाते हुए दिए। कोर्ट ने क्लैट परीक्षा में हुई तकनीकी गड़बड़ियों पर भी गहरी नाराजगी जताई और केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को कमेटी गठित कर इसकी जांच कराने का निर्देश दिया है। छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर क्लैट की गत 13 मई को हुई आनलाइन परीक्षा में तकनीकी गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए परीक्षा रद कर नये सिरे से परीक्षा कराए जाने की मांग की थी। याचिका में मुख्यता आरोप लगाए गये थे कि कई जगह स्क्रीन पर प्रश्न पत्र नही दिखे। बार बार कंप्यूटर बंद हो रहा था। इसी तरह की कई समस्याएं बताई गई थीं जिससे छात्रों ने समय का नुकसान होने और पिछड़ने का आरोप लगाया था।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान ही छात्रों की शिकायतों की जांच करने के लिए एक कमेटी गठित हुई थी जिसने मामले में जांच करके कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी और तकनीकी गड़बड़ियों से 4690 छात्रों के प्रभावित होने की बात कही थी। हालांकि गड़बड़ियों के चलते समय बर्बाद होने की प्रत्येक छात्र की दर अलग अलग है। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पूरी परीक्षा रद करने की मांग खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा रद करने से बाकी छात्रों को बड़ी परेशानी होगी। इसके बजाए जिन छात्रों को परेशानी हुई है और समय बर्बाद हुआ है उनकी परेशानियों की भरपाई करने का कोई तरीका अपनाया जाना ज्यादा ठीक है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील वीवी गिरि की ओर से छात्रों को हुए नुकसान की भरपाई के फार्मूले को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि छात्रों की प्रश्नपत्र हल करने की क्षमता और हुए नुकसान का आंकलन करते हुए औसत निकाल कर अतिरिक्त अंक दिये जाएं। कोर्ट ने कहा कि गड़बडि़यों की शिकायत करने वाले 4690 छात्रों का आंकलन का काम 15 जून तक पूरा करके नयी मेरिट लिस्ट तैयार की जाए। ये प्रक्रिया नेशनल यूनीवर्सिटी आफ एडवांस लीगल स्टडीज पूरी करेगी और प्रक्रिया पूरी होने के बाद 16 जून को लिस्ट वेबसाइट पर डाली जाएगी। कोर्ट ने कहा कि गत 10 जून को शुरू हो चुकी पहले दौर की काउंसलिंग डिस्टर्ब नहीं की जाएगी। नयी मेरिट लिस्ट दूसरे दौर की काउंसलिंग में आधार होगी।
कोर्ट ने परीक्षा में गड़बडि़यों पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि ऐसे इंतजाम किये जाए कि भविष्य मे दोबारा इस तरह की घटना न हो। कोर्ट ने पूरे मामले की जांच करके कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने क्लैट 2018 की पुन: परीक्षा का आदेश देने या देश के 19 प्रतिष्ठित नेशनल लॉ कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया रोकने का आदेश देने से इंकार कर दिया था। यह परीक्षा 13 मई को हई थी और इसमें तकनीकी खामियों का आरोप लगाते हुए शिकायतें की गई थीं।
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