गोधरा कांड: कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को भेजा नोटिस, 2 हफ्ते बाद सुनवाई
पीठ को गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह सिर्फ पत्थरबाजी का मामला नहीं था क्योंकि दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को बाहर से बंद कर दिया था जिसकी वजह से ट्रेन के कई यात्रियों की मौत हो गई थी।
नई दिल्ली, पीटीआई। गोधरा में वर्ष 2002 में साबरमती एक्सप्रेस का कोच जलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार से जवाब तलब किया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ को गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि यह सिर्फ पत्थरबाजी का मामला नहीं था, क्योंकि दोषियों ने साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी को बाहर से बंद कर दिया था, जिसकी वजह से ट्रेन के कई यात्रियों की मौत हो गई थी।
दो हफ्ते बाद होगी सुनावाई
पीठ ने कहा, 'कुछ कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पत्थरबाजी करने की थी, लेकिन जब आप बोगी को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर उस पर पत्थर फेंकते हैं तो यह सिर्फ पत्थरबाजी नहीं है।' इस पर पीठ ने कहा, 'ठीक है, आप इसे देखिए। हम इसे दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध करेंगे।'
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को भेजा नोटिस
वहीं, कुछ दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि कुछ दोषियों के मामलों में राज्य सरकार ने अपीलें दाखिल की हैं जिनकी मौत की सजा को गुजरात हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके बाद अदालत ने अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकट्टो, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गड्डी असला और अन्य की जमानत याचिकाओं पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
फारुक को सुप्रीम कोर्ट ने दी थी जमानत
बता दें कि 15 दिसंबर, 2022 को शीर्ष अदालत ने कोच जलाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे फारुक को यह कहते हुए जमानत प्रदान कर दी थी कि वह 17 वर्षों से जेल में है। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने अपराध को सबसे जघन्य बताते हुए याचिका का विरोध किया था।