महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग खारिज
याचिकाकर्ता ने अपने शोध के आधार पर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच करने की मांग की थी। उसका कहना था कि गांधी जी को चार गोलियां मारी गई थीं और उनकी हत्या में कुछ और लोगों शामिल हो सकते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच किये जाने की मांग ठुकरा दी है। कोर्ट ने मुंबई के रहने वाले अभिनव भारत के इंजीनियर शोधकर्ता पंकज फडनीज की याचिका आधारहीन बताते हुए खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एसए बोबडे व न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि वे याचिकाकर्ता द्वारा गांधी जी पर चार गोलियां चलाए जाने की दलील स्वीकार करने लायक नहीं है। कोर्ट ने मामले में न्यायमित्र वरिष्ठ वकील अमरेन्द्र शरण द्वारा गांधी जी की हत्या से संबंधित दस्तावेजों और फोटोग्राफ आदि का आंकलन करने के बाद दाखिल की गई रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा कि वे चार गोलियां चलने की बात नहीं मानी जा सकती।
याचिकाकर्ता ने अपने शोध के आधार पर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच करने की मांग की थी। उसका कहना था कि गांधी जी को चार गोलियां मारी गई थीं और उनकी हत्या में कुछ और लोगों शामिल हो सकते हैं। कोर्ट ने गांधी जी की हत्या और मुकदमें से जुड़े तथ्यों को फैसले में उद्धत करते हुए कहा कि नाथूराम गोडसे को प्रार्थना सभा में मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयानों के आधार पर दोषी ठहराया गया था। सभा में बहुत से लोग थे। प्रत्येक चश्मदीद ने स्पष्ट तौर पर बताया कि कैसे गोडसे आगे बढ़ा और उसने गांधी जी को गोली मारी। सभी सबूतों से यही पता चलता है कि गांधी जी पर तीन गोलियां चली थीं।
सबूतों में यह भी पता चला था कि जिस हथियार से उन पर हमला हुआ था वह सेमी आटोमेटिक पिस्तौल थी, जिसमें एक समय में सात कारतूस की मैग्जीन आती थी। वो पिस्तौल बरामद हुई थी जिसमें चार जिंदा कारतूस मौजूद थे। दो खाली कारतूस घटना स्थल से जब्त किये गए जबकि तीसरा खाली कारतूस गांधी जो को अंतिम संस्कार के लिए स्नान कराते वक्त उनकी शाल से बरामद हुआ था। गांधी जी की मृत्यु रिपोर्ट मे उन्हें तीन गोलियां लगने की बात कही गई है। तीन में से दो गोलियां उनके शरीर को पार कर गईं थी जबकि तीसरी नहीं पार कर पायी थी इसलिए घटना स्थल से सिर्फ दो चली हुई गोलियां बरामद हुईं थीं। न तो चौथी चली गोली घटना स्थल पर बरामद हुई और न ही खाली कारतूस बरामद हुआ था। इसके अलावा कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से जेएल कमीशन रिपोर्ट पर उठाए गए सवालों और मामले की दोबारा जांच किये जाने की मांग भी ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि वह आयोग की रिपोर्ट के पहलू पर विचार नहीं करेगा।
महात्मा गांधी की सत्तर साल पहले 30 जनवरी 1948 तो हत्या हो गई थी। गांधी जी की हत्या में 9 लोगों पर मुकदमा चला। दिल्ली की विशेष अदालत ने उनमें से 7 अभियुक्तों को 10 फरवरी 1949 को दोषी ठहराया और एक बरी हुआ। नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को मृत्युदंड दिया गया जबकि चार अन्य को उम्रकैद और एक अभियुक्त को सात साल की कैद हुई। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए 21 जून 1949 को पांच अभियुक्तों को दोषी ठहराया और दो को बरी कर दिया। इस समय कोई भी अभियुक्त जीवित नहीं है।