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न्यायमूर्ति ने न्यायपालिका के अधिक हस्तक्षेप पर सरकार को लताड़ा

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने केंद्रीय ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल के कुछ न्यायिक फैसलों को अधिक हस्तक्षेप बताने पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जो फैसले लिए गए वे पर्यावरण और न्यायपालिका की रक्षा के लिए हैं, न्यायपालिका बुनियादी सुविधाओं के विकास के

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2015 02:21 AM (IST)Updated: Mon, 16 Mar 2015 07:58 AM (IST)
न्यायमूर्ति ने न्यायपालिका के अधिक हस्तक्षेप पर सरकार को लताड़ा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने केंद्रीय ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल के कुछ न्यायिक फैसलों को अधिक हस्तक्षेप बताने पर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जो फैसले लिए गए वे पर्यावरण और न्यायपालिका की रक्षा के लिए हैं, न्यायपालिका बुनियादी सुविधाओं के विकास के खिलाफ नहीं है।

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न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, यह देश जानता है कि यदि आज पर्यावरण की रक्षा के लिए जो गतिविधियां चल रही हैं तो उसकी अगुआई केवल न्यायपालिका ही कर रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका कभी-कभी लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन करती है लेकिन उसका एक मात्र मकसद संविधान में जैसी गारंटी दी गई है उसके तहत पर्यावरण की और देश के लोगों के जीवन की रक्षा करना है। न्यायमूर्ति ठाकुर यहां एक सम्मेलन में ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल की टिप्पणी का जवाब दे रहे थे। गोयल ने कहा था कि सरकार को रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराना सुनिश्चित करना है और साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित करना है कि यह आर्थिक विकास पर्यावरण को नुकसान की कीमत पर न हो। उन्होंने यह भी कहा कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि कभी-कभी न्यायपालिका का दायरे से बाहर जाकर हस्तक्षेप या किसी खास विषय को सनसनीखेज बना देना विकास से अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।

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