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FRL Amazon Dispute Case: अमेजन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

अमेजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपील किया है कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) अपनी संपत्तियों को तब तक न बेचे जब तक विवाद खत्म नहीं होता। बता दें कि इन संपत्तियों में बिग बाजार के स्टोर्स भी शामिल हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 04 Apr 2022 10:32 AM (IST)Updated: Mon, 04 Apr 2022 10:39 AM (IST)
FRL Amazon Dispute Case: अमेजन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  में सुनवाई आज
अमेजन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अमेजन और फ्यूचर ग्रुप के बीच विवाद मामले में सुनवाई की जाएगी। रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप (FRL) के बीच 24,713 करोड़ रुपये की डील को लेकर यह विवाद है जिसपर अमेरिका की ई कामर्स दिग्गज कंपनी अमेजन विरोध जता रही है। अमेजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपील किया है कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) अपनी संपत्तियों को तब तक न बेचे जब तक विवाद खत्म नहीं होता। बता दें कि इन संपत्तियों में बिग बाजार के स्टोर्स भी शामिल हैं।

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जानें इससे पहले की सुनवाई में क्या कहा था कोर्ट ने 

इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या वह अमेजन की याचिका पर कोई अंतरिम आदेश जारी कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच ने कहा कि जिन संपत्तियों पर FRLके स्टोर चल रहे थे, उनके मालिक हमारे सामने नहीं है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब संपत्ति का मालिक हमारे सामने नहीं है तो क्या उससे जुड़ा कोई आदेश पारित किया जा सकता है। वहीं अमेजन का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि जहां तक मध्यस्थता प्रक्रिया फिर से शुरू करने का सवाल है तो अमेजन और फ्यूचर समूह दोनों एकमत हैं। उन्होंने कहा कि FRL के 800 से अधिक स्टोर को खाली कराकर रिलायंस समूह ने अपने कब्जे में ले लिया है।

FRL की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने बताया था कि करीब 374 स्टोर समूह के पास हैं और जब तक इन संपत्तियों के मालिक उन्हें स्टोर चलाने की अनुमति देंगे तब तक वह काम करना जारी रखेंगे। साल्वे ने कहा कि कंपनी के खाते फ्रीज हैं और वह किराया अदा नहीं कर सकती है। ऐसे में संपत्तियों के मालिक उम्मीद जता रहे हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में यदि रिलायंस हो तो उन्हें जरूर पैसा मिल जाएगा। किराए का भुगतान करने के लिए कंपनी के पास पैसा नहीं है। यदि इसके लिए कंपनी को उधार देने वाले बैंक पार्टी बनते हैं तो दिवालिया प्रक्रिया शुरू होने की आशंका बलवती हो जाएगी।


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