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92 की उम्र में ऑनर किलिंग का दोषी जाएगा जेल

ऑनर किलिंग के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Jun 2016 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jun 2016 10:39 PM (IST)
92 की उम्र में ऑनर किलिंग का दोषी जाएगा जेल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑनर किलिंग के एक मामले में हाई कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए पुत्ती को 92 साल की उम्र में जेल जाना होगा। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसे कोई भी राहत देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और एल नागेश्वर राव की अवकाशकालीन पीठ ने उम्रकैद के खिलाफ दायर उसकी विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। अदालत ने पुत्ती के वकील दीपेश द्विवेदी की सभी दलीलों को खारिज कर दिया। द्विवेदी ने पुत्ती के बुढ़ापे और खराब स्वास्थ का हवाला देते हुए समर्पण से छूट मांगी थी। उन्होंने कहा कि वह जेल जाने लायक नहीं है।

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रहम की गुहार पर कोर्ट ने अपराध में पुत्ती की भूमिका पूछी। पता चला कि पुत्ती ने बांका से ननकू का सिर काटा था। कोर्ट ने उसकी भूमिका जानने के बाद बगैर कोई राहत दिए पूरी याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद पुत्ती को बुढ़ापे में उम्रकैद की सजा काटनी पड़ेगी। हालांकि, उसके वकील आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका और राष्ट्रपति तथा राज्य सरकार के समक्ष दया याचिका दायर करने पर विचार कर रहे हैं।

देर से न्याय का मामला

यह मामला न्याय में देरी का एक और उदाहरण है। 22 अगस्त, 1980 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में फेका, सनेही और पुत्ती ने आन के लिए ननकू की हत्या कर दी थी। दरअसल, फेका की शादीशुदा बेटी से ननकू के भाई को प्यार हो गया था। वह उसे लेकर भाग गया था। इस दुश्मनी के चलते तीनों ने ननकू को मार डाला था। पुत्ती, फेका और सनेही का चचेरा भाई है।

34 साल लंबित रहा मामला

सत्र अदालत ने 1982 में ही फेका, सनेही और पुत्ती को उम्रकैद की सजा सुना दी थी। इसके खिलाफ तीनों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की। शुरुआती सुनवाई में उन्हें जमानत मिल गई। हाई कोर्ट में मामला 34 साल लंबित रहा। इस बीच फेका व सनेही की मृत्यु हो गई और पुत्ती 92 वर्ष का हो गया। गत 24 फरवरी को हाई कोर्ट ने पुत्ती की अपील खारिज कर दी। सजा भुगतने के लिए उसे तत्काल हिरासत में लेने का आदेश दिया।

हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती

हाई कोर्ट के फैसले को पुत्ती ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट का नियम है कि सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई तभी होती है, जबकि अभियुक्त ने समर्पण कर दिया हो और जेल जाने का प्रमाणपत्र साथ संलग्न किया गया हो। पुत्ती ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए समर्पण से छूट मांगी थी। उसने जेल भेजे बगैर ही अपील पर सुनवाई करने का कोर्ट से अनुरोध किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उसे कोई राहत नहीं मिली।

पढ़ेंःhonour killing: 92 साल के दोषी की SC से अपील, जज साहब मत भेजो जेल


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