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आडवाणी, जोशी, कल्याण, उमा पर फिर चल सकता है साजिश का केस

अयोध्या में विवादित ढ़ाचां गिराए जाने को लेकर हो रही मामले की सुनवाई को फिलहाल टाल दिया गया है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 06 Mar 2017 02:40 PM (IST)Updated: Mon, 06 Mar 2017 08:36 PM (IST)
आडवाणी, जोशी, कल्याण, उमा पर फिर चल सकता है साजिश का केस
आडवाणी, जोशी, कल्याण, उमा पर फिर चल सकता है साजिश का केस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अयोध्या विवादित ढांचा ध्वंस मामले में साजिश के आरोपों से मुक्त हो चुके भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती आदि की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट उन पर ढांचा ढहाने की साजिश के आरोप बहाल करने पर विचार करेगा।

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सोमवार को कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि लोगों को सिर्फ ऐसे तकनीकी आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता है कि पूरी तरह नियम का पालन नहीं हुआ। कोर्ट ने रायबरेली और लखनऊ की अदालतों में लंबित मुकदमों को संयुक्त आरोपपत्र के आधार पर एक साथ जोड़ने के भी संकेत दिए। हालांकि अभी इस बाबत कोई औपचारिक आदेश नहीं हुआ है।

इस मामले का सीधा असर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जो कि ढांचा ढहने के समय उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री थे, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, सांसद विनय कटियार आदि पर पड़ेगा। इनके सहित 13 नेता हैं जिन पर ढांचा ढहने के मामले में रायबरेली की अदालत में हल्की धाराओं में मुकदमा चल रहा है। इन पर आपराधिक साजिश के आरोप नहीं हैं। जबकि लखनऊ की अदालत में कारसेवकों के खिलाफ लंबित मुकदमें में ढांचा ढहाने की आपराधिक साजिश के भी आरोप हैं।

सीबीआइ और अयोध्या के रहने वाले हाजी महमूद ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद व शिव सेना के 21 नेताओं के खिलाफ तकनीकी आधार पर आपराधिक साजिश (आईपीसी धारा 120बी) के आरोप खत्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी है। कई नेताओं की मृत्यु हो चुकी है इस समय सिर्फ 13 लोग रह गये हैं।
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पीसी घोष व न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन की पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा लोगों को इस तरह तकनीकी आधार पर नहीं छोड़ा जा सकता। कोर्ट ने सीबीआइ से कहा कि पूरक आरोपपत्र क्यों नहीं दाखिल करते। क्यों नहीं रायबरेली और लखनऊ की अदालत में लंबित मामलो को एक साथ जोड़ कर एक साथ ट्रायल चलाया जाए। लेकिन दूसरी ओर आडवाणी व अन्य भाजपा नेताओ की ओर से पेश वकील केके वेणुगोपाल ने इसका जोरदार विरोध किया।
उन्होंने कहा कि अगर दोनों जगह के ट्रायल एक साथ मिला कर किया जाएगा तो 183 गवाहों को फिर बुलाना पड़ेगा जो कि काफी मुश्किल होगा। उन्होंने कोर्ट से इस बावत विस्तृत सुनवाई करने का अनुरोध किया। पीठ ने उनके आग्रह पर मामला 22 मार्च को विस्तृत तौर पर विचार के लिए लगा दिया है।
इससे पहले हाजी महमूद की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल और एमआर शमशाद ने कहा कि लखनऊ में संयुक्त आरोपपत्र दाखिल है और उसी के आधार पर एक साथ पूरे मामले का ट्रायल एक जगह चलना चाहिये था उसमें आपराधिक साजिश के भी आरोप हैं। सीबीआइ ने भी अपनी याचिका में संयुक्त आरोपपत्र के आधार पर सभी के खिलाफ लखनऊ में एक साथ मुकदमा चलाने की मांग की है। 

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