Article 370: दायर याचिकाओं पर SC ने रखा फैसला सुरक्षित, सिब्बल बोले- धारा 144 पर सरकार के तर्क गलत
सुप्रीम कोर्ट में आज जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर गुलाम नबी आजाद और अनुराधा भसीन की याचिका पर आज सुुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद संचार और अन्य प्रतिबंधों के संबंध में कश्मीर टाइम्स के संपादक अनुराधा भसीन और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा दायर याचिकाओं पर आज एक बेंच ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाओं पर न्यायमूर्ति एन वी रमना, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने सुनवाई की।
सिब्बल बोले- धारा 144 पर सरकार का तर्क गलत
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता गुलाम नबी आजाद की ओर से कहा कि सरकार का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। उन्होंने कहा कि धारा 144 में राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लेख कहां है? धारा 144 राष्ट्रीय सुरक्षा में किसी भी तरह की समस्या को प्रतिबिंत नहीं करता है। सरकार द्वारा दिया गया तर्क गलत है।सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता गुलाम नबी आज़ाद का प्रतिनिधित्व करने वाले कपिल सिब्बल ने कहा कि आप लोगों को हिरासत में ले सकते हैं। आप कह सकते हैं कि धारा 144 लगाई गई है, लेकिन आप राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर 7 मिलियन लोगों को हिरासत में नहीं ले सकते।
वहीं, कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने इन धाराओं को 'असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि प्रतिबंधों को आनुपात की कसौटी पर खरा उतरना है।
भसीन और गुलाम नबी आजाद ने लगाए ये आरोप
बता दें कि भसीन और कांग्रेस नेता ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद संचार और अन्य अवरोधक लगाने का आरोप लगाया है। वहीं, मंगलवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद वहां पर इंटरनेट पर लगाई गई पाबंदी को सही ठहराया था। उन्होंने कहा कि अलगाववादी, आतंकवादी और पाकिस्तान सेना सोशल मीडिया पर लोगों को जेहाद के लिए भड़काते रहते हैं।
वहीं जम्मू-कश्मीर प्रशासन की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी को बताया कि देश के अंदर ही दुश्मनों के साथ लड़ाई नहीं है, बल्कि सीमा पार भी दुश्मनों से जूझना है। इतना ही नहीं, मेहता ने अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 के हटने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के सार्वजनिक भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अपरिहार्य परिस्थिति है जहां असाधारण उपाय की जरूरत होती है, क्योंकि निहित हित वाले लोग मनोवैज्ञानिक साइबर युद्ध छेड़ रहे हैं।