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SC का आदेश, वडाला से कासारवदावली तक पेड़ गिराए जाने पर सुनाए मुंबई हाईकोर्ट फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट से कहा है कि वह वडाला से ठाणे के कासारवदावली तक एलिवेटेड कॉरिडोर पर मेट्रो 4 लाइन का रास्ता बनाने के लिए गिराए जाने वाले पेड़ों पर फैसला सुनाए।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 01:57 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 01:57 PM (IST)
SC का आदेश, वडाला से कासारवदावली तक पेड़ गिराए जाने पर सुनाए मुंबई हाईकोर्ट फैसला
SC का आदेश, वडाला से कासारवदावली तक पेड़ गिराए जाने पर सुनाए मुंबई हाईकोर्ट फैसला

नई दिल्ली,एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट से पेड़ गिराने के मामले में फैसला सुनाने के लिए कहा हैं। मुंबई के वडाला से ठाणे के कासारवदावली तक एलिवेटेड कॉरिडोर पर मेट्रो 4 लाइन का रास्ता बनाने के लिए ये पेड़ गिराए जाने हैं। 

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क्यों की जा रही है पेड़ों की कटाई

दरअसल, मेट्रो की चौथी लाइन के लिए पेड़ों की कटाई की जाने वाली है। यह प्रस्‍तावित रूट वडाला (मुंबई) से कासरवडावली (ठाणे) तक जाएग। इस रूट के लिए एलिवेटेड मेट्रो लाइन के लिए बड़ी संख्‍या में पेड़ों की कटाई की जाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट में पेड़ों की कटाई रोकने के लिए याचिका दायर की गई थी। इससे पहले 2 दिसंबर को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पेड़ों की कटाई पर दो सप्ताह की रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इसके लिए  महाराष्‍ट्र सरकार और MMRDA (मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी) को आदेश दिया था।

गौरतलब है कि वडाला-कासरवडाली कॉरिडोर के बनने के बाद मुंबई और उपनगरीय इलाके ठाणे का सफर बेहद आसान हो जाएगा।                                                                                   

इससे पहले भी हुआ पेड़ों पर विवाद

इससे पहले भी पेड़ों की कटाई को लेकर मुंबई में विवाद हो चुका है। मुंबई मेट्रो के लिए महानगर के आरे कॉलोनी इलाके में शेड का काम निर्माणाधीन है। फडणवीस सरकार के कार्यकाल के दौरान यहां पर शेड बनाने के लिए बड़ी तादाद में पेड़ों की कटाई की गई थी। सरकार के इस फैसला का आरे के स्‍थानीय लोगों ने पुरजोर विरोध किया था। इतना ही नहीं यह मामला बढ़ते-बढ़ते सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया था। इस मामले में बड़ी संख्‍या में लोग सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने लगे थे। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस भी दर्ज किया है। गौरतलब है कि मुंबई हाईकोर्ट ने इससे पहले  पर्यावरणविदों की ओर से दर्ज पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दिया था। 


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