आर्थिक आरक्षण पर फिलहाल रोक नहीं, SC का केंद्र को नोटिस; चार हफ्ते में मांगा जवाब
Upper caste reservation, मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान संशोधन की जांच करेगा। केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया गया है।
नई दिल्ली (एएनआई)। सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण को रद्द करने की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस पर तत्काल रोक से इनकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इस पर हम विचार करेंगे। कोर्ट संवैधानिक बदलावों को मिली चुनौती पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ में सुनवाई हुई। इसी मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में पहले से याचिका दाखिल की गई थी।
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसद आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका कारोबारी तहसीन पूनावाला की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस संविधान संशोधन से आरक्षण के बारे में इंदिरा साहनी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले का उल्लंघन होता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस फैसले में स्पष्ट किया गया था कि आरक्षण के लिये पिछड़ेपन को सिर्फ आर्थिक आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
पूनावाला ने याचिका मे कहा है कि संविधान पीठ ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसद निर्धारित की थी और आर्थिक आधार पर आरक्षण का प्रावधान इस सीमा को लांघता है। याचिका में इस नये कानून पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
बता दें कि मोदी सरकार ने संसद में संविधान के 124वां संशोधन करके सवर्णों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की है। इसके तहत सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है।