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पृथ्वीराज चव्हाण का मोर्चा संभाल रही हैं पत्नी सत्वशीला

पश्चिम महाराष्ट्र के छोटे से शहर कराड की एक गली में बिना नेमप्लेट वाला एक बंगला है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण का। न सुरक्षा का कोई अतिरिक्त तामझाम, न कोई शोरशराबा। चुनाव का नेतृत्व कर रहे चव्हाण पूरे राज्य में दौड़ रहे हैं, तो स्वयं उनके मोर्चे पर डटी हैं उनकी पत्नी सत्वश्

By manoj yadavEdited By: Published: Thu, 09 Oct 2014 02:49 PM (IST)Updated: Thu, 09 Oct 2014 02:50 PM (IST)

कराड [ओमप्रकाश तिवारी]। पश्चिम महाराष्ट्र के छोटे से शहर कराड की एक गली में बिना नेमप्लेट वाला एक बंगला है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण का। न सुरक्षा का कोई अतिरिक्त तामझाम, न कोई शोरशराबा। चुनाव का नेतृत्व कर रहे चव्हाण पूरे राज्य में दौड़ रहे हैं, तो स्वयं उनके मोर्चे पर डटी हैं उनकी पत्नी सत्वशीला चव्हाण।

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बंगले के बाहरी हिस्से में छोलदारी लगाकार कार्यकर्ताओं के बैठने और भोजन की व्यवस्था की गई है। घर के बाहरी हॉल में एक बड़ी डाइनिंग टेबल के पीछे दो मोबाइल फोन लिए बैठी सत्वशीला चव्हाण आते-जाते लोगों पर स्वयं नजर रख रही हैं। संयुक्त परिवार की दो बहुएं आशा और गौरी कार्यकर्ताओं के बीच घुल-मिलकर दिनभर की प्रचार गतिविधियों का जायजा ले रही हैं। वो कभी सत्वशीला के पास आकर उनके कान में कुछ फुसफुसाती हैं, तो कभी सत्वशीला स्वयं उन्हें नाम से पुकारकर कोई निर्देश देती हैं। सत्वशीला के लिए ये गतिविधियां बिल्कुल नई नहीं हैं। उन्हें भी राजनीति की ट्रेनिंग तीन बार सांसद रहीं उनकी सास प्रेमिला चव्हाण से मिली है।

पिछले दो माह से वह स्वयं और परिवार के बाकी लोग कार्यकर्ताओं के साथ कराड (दक्षिण) विधानसभा क्षेद्द के गांव-गांव में घूम रहे हैं। 500 से लेकर 1000 व्यक्तियोंतक की छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं। श्रीमती चव्हाण और उनकी बहुएं खासतौर से महिलाओं के बीच जाकर उन्हें बताती हैं कि मुखयमंद्दी के रूप में पृथ्वीराज चव्हाण ने उनके लिए क्या-क्या किया है। चव्हाण की ईमानदार छवि का लाभ भी उन्हें मिल रहा है। खासतौर से महिलाओं के समर्थन के प्रति आश्वस्त सत्वशीला कहती हैं कि महिलाएं अब जागरूक हो गई हैं। अब वह स्वयं सभाओं में आती हैं, सुनती हैं और सवाल-जवाब करती हैं। साथ ही पतियों के दबाव में मतदान करने के बजाय अपना निर्णय खुद करती हैं।

बातचीत के दौरान प्रधानमंद्दी मोदी का जिक्त्र आते ही श्रीमती चव्हाण बिफर पड़ती हैं। कहती हैं, मैं उनके जैसे व्यक्ति का सममान नहीं कर सकती। प्रधानमंद्दी के रूप मे ऐसे व्यक्ति का ही सममान कर सकती हूं, जिसे लंबे समय से कुछ करते हुए देखा हो। वह कहती हैं कि मैं मनोविज्ञान की विद्यार्थी हूं। मोदी को मैंने सिर्फ चमत्कारी बातें करते सुना है, कोई परिणाम देते नहीं देखा। मुझे अचरज होता है कि अमरीका के मैडिसन स्क्वायरप्रधानमंद्दी कोई प्रधानमंद्दी देश के 287 कानून खत्म करने की बात करता है। वह भी उन कानूनों का कोई विकल्प दिए बगैर। इन कानूनों को खत्म करने से पहले कम से कम उन्होंने देश के लोगों से चाय पर चर्चा ही कर ली होती।

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