यहां के चुनिंदा स्कूलों में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ एलकेजी से पढ़ाई जाएगी संस्कृत
मध्य प्रदेश के चुनिंदा स्कूलों में अब एलकेजी से ही संस्कृत की पढ़ाई कराई जाएगी। अगले सत्र से एमपी के 52 जिलों के सरकारी स्कूलों में संस्कृत की कक्षाएं शुरू होंगी।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। सबसे प्राचीन और सभी भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत का प्रयोग लोगों के जीवन में आ सके, इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को बचपन से संस्कृत पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके लिए मध्य प्रदेश के चुनिंदा स्कूलों में अब एलकेजी से ही संस्कृत की पढ़ाई कराई जाएगी। अगले सत्र से एमपी के 52 जिलों के सरकारी स्कूलों में संस्कृत की कक्षाएं शुरू होंगी। संस्कृत भाषा की एलकेजी और यूकेजी की कक्षाओं में 30-30 सीटें होंगी। लॉकडाउन के बाद स्कूल खुलते ही इन कक्षाओं में नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। इन कक्षाओं का नाम भी संस्कृत में एलकेजी (अस्र्ण) और यूकेजी (उदय) होगा।
हिंदी और अंग्रेजी के साथ संस्कृत को किया जाएगा शामिल
राज्य के इन स्कूलों को सुविधायुक्त और हाईटेक बनाने के लिए राज्य ओपन स्कूल और महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान 20 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। इन स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक हिंदी, अंग्रेजी के साथ संस्कृत भी शामिल की जाएगी। भोपाल के शिवाजी नगर स्थित सरोजनी नायडू कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का चयन इसके लिए किया गया है, जहां एलकेजी से ही संस्कृत में पढ़ाई होगी।
स्कूलों में होंगी यह सुविधाएं
इन स्कूलों में विशेष योग्यता वाले शिक्षक, स्मार्ट क्लास, खेल मैदान, कंप्यूटर लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, साइंस व लैंग्वेज लैब, शौचालय होंगे। इन स्कूलों में प्ले ग्रुप के बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए करीब 100 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
एलकेजी व यूकेजी की किताब में यह शामिल
दोनों कक्षाओं की किताब में संस्कृत में ही रंग परिचय, जन्मदिन पर गीत, कौआ व लोमड़ी की कहानी, संख्या परिचय, संख्या गीत, संख्या गिनना, शरीर का नाम, उत्तम बालक पर कविता, वर्ण परिचय, शिशु गीत, शब्दावली, सब्जियों एवं फलों का नाम, प्रार्थना, पक्षियों व पशुओं के नाम, क्रियाएं, स्वर व व्यंजन का अभ्यास, व्यंजन गीत, रंग गीत, चूहा व सिंह की कहानी आदि होंगी।
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान व राज्य ओपन स्कूल के निदेशक प्रभात राज तिवारी ने कहा कि प्रदेश के 52 सरकारी स्कूलों में इस सत्र से एलकेजी से ही बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कृत की पढ़ाई कराई जाएगी। इससे संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा।