बदनाम करने के लिए संजीव भट्ट ने बनाए फर्जी सुबूत
गोधरा कांड के बाद वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) के वकील ने कहा है कि निलंबित आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। एसआइटी के वकील आरएस जमुआर ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गानात्रा
अहमदाबाद। गोधरा कांड के बाद वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) के वकील ने कहा है कि निलंबित आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए।
एसआइटी के वकील आरएस जमुआर ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट बीजे गानात्रा के समक्ष यहां कहा, 'संजीव भट्ट ने दावा किया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को फैक्स संदेश भेजकर दंगा होने की आशंका से अवगत कराया था। हमारी जांच के दौरान यह बात सामने आई कि उन संदेशों में बहुत सारे फर्जी थे। हमारा दृढ़ विश्वास है कि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार के विरोध में करीब नौ साल बाद खुलकर आए भट्ट का सरकार की छवि धूमिल करने के अलावा और कोई इरादा नहीं है।' उन्होंने कहा कि भट्ट द्वारा एसआइटी को कुछ फैक्स संदेश सौंपे गए थे। इन संदेशों में उनके तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों जीसी रैगर और ओपी माथुर के हस्ताक्षर थे लेकिन दोनों अधिकारियों ने उन हस्ताक्षरों को अपना मानने से इन्कार किया है। जमुआर दंगे में मारे गए पूर्व सांसद अहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब दे रहे थे। जकिया ने गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में एसआइटी द्वारा नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीन चिट देने और जांच बंद करने को एक याचिका दायर करके चुनौती दी है। जकिया की सुप्रीम कोर्ट में दायर मूल शिकायत में भट्ट को एक गवाह के रूप में पेश किया है। जमुआर ने कहा कि भट्ट विश्वसनीय गवाह नहीं हैं। उन्होंने भट्ट और एक अन्य आइपीएस अधिकारी राहुल शर्मा के बीच ई-मेल संदेशों को पेश किया। इनमें भट्ट ने प्रदेश के पूर्व गृह राज्य मंत्री हरेन पांड्या 27 फरवरी 2002 को कहां थे, इसकी जानकारी मांगी थी। भट्ट का आरोप है मोदी ने पुलिस अधिकारियों को दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था। यह भी दावा किया है कि पांड्या भी इस संदर्भ में मोदी के आवास पर हुई बैठक में मौजूद थे। जमुकार का कहना है कि यदि पांड्या उस बैठक में थे तो यह कैसे हो सकता है कि भट्ट उस समय पांड्या कहां थे उसकी जानकारी मांगें?
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