Move to Jagran APP

विवादों में रहा 'पद्मावत' का सफर, भंसाली की इस एक 'न' की वजह से बदले करणी सेना के तेवर

एक साल से चुनौती का सामना कर रही संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत'। मुंबई में करणी सेना को 'न' बोलना भंसाली को महंगा पड़ा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 08:40 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 10:25 AM (IST)
विवादों में रहा 'पद्मावत' का सफर, भंसाली की इस एक 'न' की वजह से बदले करणी सेना के तेवर
विवादों में रहा 'पद्मावत' का सफर, भंसाली की इस एक 'न' की वजह से बदले करणी सेना के तेवर

अनुज अलंकार (मुंबई)। बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक संजय लीला भंसाली ने 'बाजीराव मस्तानी' को मिली बड़ी सफलता के बाद जब अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर पद्मावती (जिसका अब अधिकारिक नाम पद्मावत हो चुका है) को शुरू किया था, तो उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ये फिल्म उनके लिए बड़ी चुनौती बन जाएगी।

loksabha election banner

दिसंबर, 2016 में शुरू हुई फिल्म की शूटिंग

2016 के दिसंबर में मुंबई में भंसाली ने जब इस फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, तो उनके सेट पर खुद शाहरुख खान गुड लक कहने पहुंचे थे। जनवरी में जब जयपुर में फिल्म का बड़ा शेड्यूल शुरू हुआ था, तब तक इस फिल्म को लेकर सब कुछ सामान्य लग रहा था। इस चर्चा ने भी जोर नहीं पकड़ा था कि फिल्म में पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के रोमांस का कोई ड्रीम सिक्वेंस है। ये पद्मावत के विवाद की पहली चिंगारी थी, जिसकी परिणीती जयपुर में फिल्म के सेट पर करणी सेना के लोगों का हमला था। इस दौरान भंसाली से हाथापाई तक हुई और ये मामला तेजी से देश भर में गूंजा।

इस वजह से बदले करणी सेना के तेवर

ये मामला उस वक्त लगभग शांत होने वाला था, जब खबर आई कि करणी सेना और भंसाली के बीच समझौता हो गया। इसके तहत फिल्म पूरी होने के बाद करणी सेना के नेताओं को दिखाई जानी थी। इस विवाद ने फिर तूल पकड़ा जब करणी सेना के नेता मुंबई आए और भंसाली ने उनसे मिलने से मना कर दिया। यहीं से करणी सेना के तेवर बदले और उन्होंने फिल्म के विरोध के तेवर तीखे कर दिए। एक दिसंबर को फिल्म रिलीज करने की घोषणा इस विवाद का नया पड़ाव था। इस घोषणा के कुछ दिनों बाद ही गुजरात में विधानसभा चुनाव होने की घोषणा हो गई और गुजरात में राजपूती समुदाय के असर को देखते हुए इस मामले पर सियासत का खेल शुरू हुआ। माना जाता है कि दिल्ली के इशारे पर मुंबई में सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को सर्टिफिकेट देने में आनाकानी की।

गुजरात चुनाव और फिल्म रिलीज का कनेक्शन

इस पर देश के कुछ पत्रकारों को फिल्म दिखाने के फैसले ने इस विवाद में आग में घी डालने का काम किया। इसके बाद तो विरोध के सुर और ज्यादा तीखे होते चले गए। रिलीज डेट से चंद दिनों पहले 'पद्मावत' की रिलीज को स्थगित करने का फैसला हुआ और इसका कारण बताया गया कि फिल्म सेंसर बोर्ड से पारित नहीं हुई है। सेंसर बोर्ड में असली पेंच इस बात पर फंसा था कि फिल्म को काल्पनिक माना जाए या ऐतिहासिक। इस बीच संसदीय कमेटी के सामने भंसाली की पेशी हुई, जिसमें उनसे सख्त सवाल हुए। गुजरात चुनाव संपन्न होने के बाद फिर से इस फिल्म का मामला आगे बढ़ा। सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म को पारित किए जाने के बाद करणी सेना ने केंद्र सरकार से लेकर सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी तक को निशाने पर लिया।

सबसे पहले बैकफुट पर आई राजस्थान सरकार

राजस्थान की सरकार ने सबसे पहले घोषणा कर दी कि जन समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ये फिल्म उनके राज्य में रिलीज नहीं होगी। राजस्थान के अलावा भाजपा शासित राज्यों से भी फिल्म के विरोध के सुर उठे। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुलकर भंसाली पर हमला किया, तो मध्यप्रदेश, हरियाणा और गुजरात ने भी पद्मावत के विरोध के सुर में सुर मिलाए।

'पद्मावत' की मदद के लिए आगे आया 'पैडमैन'

इसी बीच फिल्म को 25 जनवरी को रिलीज करने की घोषणा की गई, तो माना गया कि ये फिल्म अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन के साथ मुकाबला करेगी। अक्षय कुमार ने समझदारी दिखाते हुए अपनी फिल्म को आगे खिसका कर पद्मावत के लिए रास्ता साफ कर दिया।

राज्यों को मिला 'सुप्रीम' झटका

राज्य सरकारों द्वारा पद्मावत की रिलीज पर रोक के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में राज्य सरकारों के फैसले को पलटते हुए आदेश दिया कि सभी राज्यों में फिल्म के प्रदर्शन के लिए सुरक्षा मुहैया की जाए। मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात सरकार की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने के बाद तय हो गया था कि अब तकनीकी और कानूनी रुप से पद्मावत को लेकर कोई बाधा नहीं बची है।

हिंसा और तोड़फोड़ पर उतरी करणी सेना

इस बीच करणी सेना के हमले लगातार तेज होते चले गए और उन्होंने हिंसा और तोड़फोड़ की धमकियों पर अमल करना शुरू कर दिया, जिसने माहौल एक बार फिर गरमा दिया। रिलीज के दो दिन पहले मीडिया के लिए फिल्म का शो रखा गया, जहां से लगभग एक सुर में आवाज आई, कि फिल्म में विरोध का कोई कारण नहीं है। फिर भी करणी सेना अपने रुख पर कायम रही और सिनेमाघरों में आगजनी की घटनाओं के बाद चार राज्यों में सिनेमाघरों के मालिकों के फिल्म न दिखाने के फैसले ने पद्मावत के भविष्य को एक बार फिर अंधकारमय कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.