फोरेंसिक जांच में खुलासा, गौरी लंकेश और कालबुर्गी की हत्या में इस्तेमाल हुई एक पिस्तौल
कालबुर्गी (77) की धारवाड़ स्थित उनके घर में 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या हुई थी, जबकि गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 घर के बाहर गोली मारकर हत्या हुई थी।
बेंगलुरु, पीटीआइ। कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच में महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हुआ है। उनकी हत्या उसी पिस्तौल से हुई, जिससे नस्लभेद विरोधी एमएम कालबुर्गी मारे गए थे। यह जानकारी राज्य की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की जांच में सामने आई है।
कोर्ट में दाखिल आरोप पत्र में विशेष जांच दल (एसआइटी) ने इस रिपोर्ट का हवाला दिया है। एसआइटी ने मामले में केटी नवीन कुमार को आरोपी बनाया है, उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है। देश भर में चर्चित हुए दोनों मामलों में पहली बार साम्य स्थापित हुआ है। दोनों घटनाएं दो साल के अंतर पर हुई थीं। दोनों के लिए शक अतिवादी संगठन के सदस्यों पर गया था। लेकिन दोनों हत्याओं में कुछ बातें एक जैसी होने की आधिकारिक पुष्टि पहली बार हुई है।
कालबुर्गी (77) की धारवाड़ स्थित उनके घर में 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या हुई थी, जबकि गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 घर के बाहर गोली मारकर हत्या हुई थी। एसआइटी के सदस्यों ने पूर्व में एक ही बंदूक से दोनों हत्याएं किए जाने पर शक जाहिर किया था। लेकिन इसकी पुष्टि पहली बार हुई है। अब दोनों घटनाओं के पीछे किसी एक गिरोह का हाथ होने का शक है। दोनों ही हत्याओं में 7.65 एमएम कैलीबर वाली देशी पिस्टल से फायर किए गए। उसकी फायरिंग पिन के कारतूस पर समान निशान को देखते हुए यह पुष्टि की गई है।
गौरी लंकेश को उनके तीखे हिंदुत्व विरोधी रुख के लिए जाना जाता था। एक अन्य हिंदुत्व विरोधी लेखक केएस भगवान की हत्या की साजिश से पुलिस ने पर्दा हटाया है। साजिश में शामिल चार लोगों को गिरफ्तार किया है। एसआइटी अब उन लोगों की पूर्व की हत्याओं में संलिप्तता की जांच कर रही है।