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मानसून की आहट से जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल-डीजल की बिक्री घटी, करीब 3.8 प्रतिशत की गिरावट हुई दर्ज

कृषि मांग में आई तेजी और गर्मी से बचने के लिए कारों में प्रयोग किए जाने एयरकंडीशनर के चलते अप्रैल और मई में डीजल की बिक्री क्रमश 6.7 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी। 1-15 मई के दौरान डीजल की खपत 33.1 लाख टन रही थी।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Mon, 19 Jun 2023 12:09 AM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2023 12:09 AM (IST)
जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल-डीजल की बिक्री घटी

नई दिल्ली, प्रेट्र: जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। मानसून की आहट से कृषि क्षेत्र में आई मांग में कमी इसकी प्रमुख वजह है। सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले ईंधन यानी डीजल की मांग एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले में 1-15 जून में 6.7 प्रतिशत गिरकर 34.3 लाख टन रह गई।

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डीजल की मांग में बढ़ोतरी

कृषि मांग में आई तेजी और गर्मी से बचने के लिए कारों में प्रयोग किए जाने एयरकंडीशनर के चलते अप्रैल और मई में डीजल की बिक्री क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी। 1-15 मई के दौरान डीजल की खपत 33.1 लाख टन रही थी। इस तरह महीने-दर-महीने की तुलना करें तो बिक्री 3.4 प्रतिशत बढ़ी है।

घट रही पेट्रोल की बिक्री

पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून के पहले पखवाड़े में पेट्रोल की बिक्री 5.7 प्रतिशत घटकर 13 लाख टन रह गई। आंकड़ों से पता चलता है कि महीने-दर-महीने बिक्री में 3.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। औद्योगिक और कृषि गतिविधियों में आई तेजी के कारण मार्च के दूसरे पखवाड़े से पेट्रोल और डीजल की बिक्री लगातार बढ़ रही थी। हालांकि समयपूर्व बारिश से मौसम ठंडा हो गया है और जून के पहले पखवाड़े में खेतों की सिंचाई के साथ-साथ ट्रैक्टर और ट्रकों के लिए उपयुक्त डीजल की मांग कम हो गई।

कोरोना की मार से प्रभावित 1-15 जून, 2021 से तुलना करें तो पेट्रोल की खपत 44.2 प्रतिशत और कोरोना से पहले यानी 1-15 जून, 2019 की तुलना में 14.6 प्रतिशत अधिक रही। 1-15 जून, 2021 के दौरान डीजल की खपत 38 प्रतिशत और जून 2019 की पहली छमाही की तुलना में 8.8 प्रतिशत अधिक थी।

कारोना के पूर्व स्तर पर यात्री यातायात

विमानन क्षेत्र के पूरी तरह से खुलने से एयरपोर्ट पर यात्री यातायात कारोना पूर्व स्तर पर पहुंच गया है। 1-15 जून के दौरान जेट ईंधन यानी एटीएफ की मांग पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 2.6 प्रतिशत बढ़कर 2,90,000 टन हो गई। यह जून 2021 के पहले पखवाड़े की तुलना में 148 प्रतिशत अधिक है, लेकिन कोरोना पूर्व स्तर यानी 1-15 जून, 2019 की तुलना में 6.8 प्रतिशत कम था।

बिजली की मांग 229 GW छूने की संभावना नहीं

बेमौसम बारिश और चक्रवाती तूफान बिपर्रजय के चलते इस साल गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग के 229 गीगावाट के छूने की संभावना नहीं है। उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक बेमौसम बारिश ने मांग को प्रभावित किया है और गर्मियों के दौरान तापमान में गिरावट आई। इसके परिणामस्वरूप लोगों ने एयरकंडीशन जैसे उपकरणों का प्रयोग कम किया, जिससे बिजली की मांग में कमी आई।

मार्च में बिजली मंत्रालय ने अनुमान लगाया था कि अप्रैल-जून के दौरान बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावाट रह सकती है। अब तक एक दिन में बिजली की अधिकतम मांग नौ जून को 223.23 गीगावाट रही। इसके बाद 10 जून को यह घटकर 219.30 गीगावाट हो गई। बिजली मंत्रालय ने देश में बिजली की मांग और खपत में किसी भी अभूतपूर्व बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए सभी आयातित कोयला बिजली संयंत्रों को 16 मार्च 2023 से 15 जून 2023 तक पूरी क्षमता से चलाने के लिए कहा था। हालांकि बाद में इस समयसीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2023 तक कर दिया गया है।


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