साईं बाबा जन्मस्थान विवाद: कल से मंदिर अनिश्चित काल के लिए बंद, विखे पाटिल ने दी कानूनी लड़ाई की चेतावनी
महाराष्ट्र सरकार के पाथरी गांव में तीर्थस्थल विकसित करने के फैसले पर विवाद पैदा हो गया है।
औरंगाबाद, प्रेट्र। महाराष्ट्र सरकार के पाथरी गांव में तीर्थस्थल विकसित करने के फैसले पर विवाद पैदा हो गया है। भाजपा सांसद सुजय विखे पाटिल ने सवाल किया कि आखिर नई सरकार बनने के बाद साईं बाबा के जन्मस्थान को लेकर दावा क्यों किया जा रहा है। सांसद ने कहा कि शिरडी के लोग इस मुद्दे पर कानूनी लड़ाई शुरू कर सकते हैं। शिरडी में ही साई बाबा का मशहूर मंदिर है जहां हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु जुटते हैं। इस विवाद के कारण पहली बार शिरडी साईं ट्रस्ट ने मंदिर को रविवार से अनिश्चित काल तक बंद करने का फैसला किया है।
सुविधाएं विकसित करने का काम नहीं रोका जा सकता
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चाव्हाण ने कहा है कि जन्मस्थान को लेकर विवाद के कारण पाथरी में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित करने का काम नहीं रोका जा सकता। अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी ही 19वीं सदी के संत साईं बाबा का निवास स्थान था। श्रद्धालुओं का एक बड़ा हिस्सा परभणी जिले में पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान मानता है।
सीएम ने की पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर करने की घोषणा
यह विवाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की घोषणा के बाद पैदा हुआ है। मुख्यमंत्री ने पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर करने की घोषणा की है। राकांपा नेता दुर्रानी अब्दुल्ला खान ने दावा किया है कि पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं। उन्होंने कहा, 'जहां शिरडी साईं बाबा की कर्मभूमि है, वहीं पाथरी जन्मभूमि है। दोनों जगहों का अपना महत्व है।'
पाथरी मशहूर हो गया तो श्रद्धालुओं का शिरडी में आना कम हो जाएगा
देश-विदेश से पर्यटक पाथरी पहुंचते हैं, लेकिन वहां बुनियादी ढांचा नहीं है। खान ने कहा, 'शिरडी के लोगों के लिए कोष कोई मुद्दा नहीं है, वे बस यही चाहते हैं कि पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान नहीं कहा जाए।' शिरडी के निवासियों को डर है कि यदि पाथरी मशहूर हो गया तो उनके कस्बे में श्रद्धालुओं का आना कम हो जाएगा।
नई सरकार बनने के बाद साईं बाबा के जन्म स्थान को लेकर हुआ विवाद
भाजपा सांसद पाटिल ने कहा, 'साई बाबा के जन्मस्थान को लेकर कोई विवाद नहीं था। नई सरकार बनने के बाद अब यह कैसे मुद्दा बन गया और नए सुबूत सामने आ गए हैं? राजनेताओं को यह निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है कि साई बाबा का जन्मस्थान कहां है। यदि राजनीतिक हस्तक्षेप जारी रहा तो शिरडी के लोग कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।'