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JNU पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर, हमारे समय में नहीं था टुकड़े-टुकड़े गैंग

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि JNU में पढ़ाई करते समय मैने वहां कभी टुकड़े टुकड़े गैंग को नहीं देखा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 09:54 PM (IST)
JNU पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर, हमारे समय में नहीं था टुकड़े-टुकड़े गैंग

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (Jawaharlal Nehru University) में छात्रों पर हुए हिंसात्मक हमले की कड़ी निंदा करने के एक दिन बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने कहा है कि जब वह इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे तब 'टुकड़े टुकड़े गैंग' नहीं हुआ करता था।

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ओआरएफ की तरफ से आयोजित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में जयशंकर ने देश की कूटनीति पर भी अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने जोर दे कर कहा मोदी सरकार की मौजूदा कूटनीति अगले एक दशक में भारत को एक सशक्त शक्ति बनाने का काम करेगी। धारा-370, सीएए जैसी नीतियों को लेकर सरकार की कूटनीति का विरोध करने वालों पर भी निशाना साधा। कांग्रेस कार्यकाल की कूटनीतियों खास तौर पर पाकिस्तान संबंधी नीतियों को लेकर सवाल भी खड़े किये।

जयशंकर स्वयं जेएनयू के छात्र रह चुके हैं और रविवार को जब जेएनयू कैंपस के भीतर छात्रों पर हिंसक हमला किया गया तो उन्होंने इसकी कड़ी निंदा भी की। सोमवार को उक्त कार्यक्रम में उनसे सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, ''मैं आपको जरुर यह बता सकता हूं कि जब मैं अध्ययन करता था तो जेएनयू में टुकड़े टुकड़े गैंग नहीं होता था।'' सनद रहे कि टुकड़े टुकड़े गैंग का संबोधन दक्षिणपंथी पार्टियां वामपंथी विचारधारा से प्रभावित नेताओं व युवाओं को देती हैं। रविवार को जब विदेश मंत्री ने जेएनयू हिंसा की आलोचना की तो ऐसा माना गया कि वह पार्टी की विचारधारा से अलग राय रखते हैं लेकिन सोमवार को उन्होंने अपनी राय स्पष्ट कर दी।

आतंकवाद से भारत को बहुत नुकसान

विदेश मंत्री जयशंकर ने यूपीए सरकार के दौरान एनएसए रहे शिवशंकर मेनन की तरफ से राजग सरकार की कूटनीति की आलोचना का भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से भारत को जितना नुकसान हुआ है उतना किसी भी देश को नहीं हुआ लेकिन इसको लेकर हमारी नीति स्थाई नहीं रही। शर्म अल शेक में भारत व पाकिस्तान के बीच किये गये समझौते की उन्होंने निंदा की और कहा कि यह हमारी रणनीतिक हित के मुताबिक नहीं था।

मनमोहन सिंह ने किया था समझौता

बता दें कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने यह समझौता पाक के पूर्व पीएम युसूफ रजा गिलानी के साथ किया था जिसमें भारत ने ब्लूचिस्तान में हिंसा को लेकर बात करने को रजामंदी जताई थी। इसे पाकिस्तान ने कहा था कि भारत स्वीकार कर रहा है कि वह ब्लूचिस्तान में आतंकियों की मदद करता है। मेनन ने दो दिन पहले कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की कई नीतियों से दुनिया भर में भारत की कूटनीतिक हार हो रही है।

मुद्दे को आगे सरकाने की हमारी आदत

उन्होंने चीन के मुकाबले भारत के पिछड़ जाने के पीछे एक वजह यह बताया कि भारत महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाने में काफी लंबा वक्त ले रहा है। नागरिकता संबंधी मुद्दे को 50 वर्षो से, धारा-370 का मुद्दा अस्थाई था लेकिन हमने उसे सुलझाने में 70 वर्ष लगाये, राम मंदिर को सुलझाने में 150 वर्ष लगा दिए। मुद्दे को आगे सरकाने की हमारी आदत बन गई थी। समाज में यह मानसिकता जब दूर नहीं होगी हम आगे नहीं बढ़ेंगे। चीन ने अपनी समस्याओं को दूर करने की रणनीति बनाई और उसे लागू किया। चीन जो ताकत बनना चाहता था उसके लिए उसने तैयारी की। हम भी वैसा ही कर रहे हैं साथ ही हमें भी चीन की तरह अपनी समस्याओं को सुलझाने का अपना तरीका विकसित करना होगा।

भारत-चीन एक साथ बढ़ रहे हैं आगे

उन्होंने यह भी कहा कि भारत व चीन एक साथ बढ़ रहे हैं लेकिन अलग अलग दिशा में बढ़ रहे हैं। हालांकि दोनो देशों के नेताओं के बीच बहुत संतोषप्रद सामंजस्य है। हम चीन के साथ अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए अब ज्यादा इमानदारी दिखा रहे हैं।


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