विदेश सचिव एस जयशंकर की खरी-खरी, हमले का जबाव कार्रवाई से, वार्ता से नहीं
भारत भले ही पाकिस्तान के साथ एक बार फिर द्विपक्षीय बातचीत करने को तैयार है लेकिन भारत ने यह भी संकेत दे दिया है कि वह आतंकवादी हमले की सूरत में बातचीत नहीं बल्कि कार्रवाई में भरोसा करता है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। भारत भले ही पाकिस्तान के साथ एक बार फिर द्विपक्षीय बातचीत करने को तैयार है लेकिन भारत ने यह भी संकेत दे दिया है कि वह आतंकवादी हमले की सूरत में बातचीत नहीं बल्कि कार्रवाई में भरोसा करता है।
भारत की तरफ से यह संकेत विदेश सचिव एस जयशंकर की तरफ से ही दिए गए हैं। बुधवार को यहां वैश्विक अर्थव्यस्था और कूटनीति पर सेमिनार 'रायसीना डायलॉग' में एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अगर पठानकोट हमले जैसी घटना के संदर्भ में अगर आप पूछेंगे तो हमारी वरीयता क्या होनी चाहिए तो निश्चित तौर पर हम बातचीत से ज्यादा कार्रवाई को वरीयता देंगे।
वैसे तो विदेश सचिव के इस बयान में बहुत चौंकाने वाले नहीं है लेकिन कूटनीति सर्किल में इसके अपने मायने निकाले जा रहे हैं। पठानकोट हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत को टाल दिया था। वैसे दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच संपर्क बना हुआ है।
माना जा रहा है कि पठानकोट जांच के लिए पाकिस्तान की तरफ गठित विशेष जांच समिति जल्द ही भारत आने वाला है। विदेश सचिव स्तरीय बातचीत के भी जल्द शुरु होने के आसार हैं। इसलिए विदेश सचिव ने कूटनीतिक भाषा में पाक को समझाया है कि बातचीत शुरु होने का मतलब यह नहीं है कि भारत किसी भी आतंकी हमले की सूरत में बातचीत को जारी रखेगा। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ एक सामान्य पड़ोसी जैसा रिश्ता रखना चाहता है लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है।