गृह मंत्रालय के जवाब के बाद RTI कार्यकर्ता का बयान, कहीं नहीं है हिंदू आतंकवाद का वजूद
RTI एक्टिविस्ट प्रफुल्ल पी सारदा ने कहा कि केवल एक विशिष्ट समुदाय के वोटों को इकट्ठा करने के लिए कुछ राजनीतिक नेता बार-बार इस देश में करोड़ों हिंदुओं को बदनाम करते हैं। हिंदू आतंकवाद मौजूद नहीं है लेकिन आरटीआई के जवाब से स्पष्ट है कि इस्लामिक आतंकवाद मौजूद है।
नई दिल्ली, एएनआई। भारत में आरटीआई आवेदन दायर कर सक्रिय आतंकवादी संगठनों की जानकारी मांगने वाले एक्टिविस्ट प्रफुल्ल पी सारदा ने कहा है कि कुछ राजनेताओं ने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए 'हिंदू या भगवा आतंकवाद' शब्द गढ़ा है। एक्टिविस्ट ने अपने आरटीआई आवेदन में ये जानकारी मांगी थी कि भारत में कितने आतंकी संगठन सक्रिय हैं। उन्होंने इन संगठनों के नाम और विवरण मांगे। इसके साथ सारदा ने भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी। उन्होंने आगे 'हिंदू या भगवा आतंकवाद (यदि कोई है)' शब्द के बारे में भी विवरण मांगा।
भगवा आतंकवाद पर भी सरकार से मांगी जानकारी
सारदा ने गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, 2006 के मालेगांव या किसी अन्य बम विस्फोट में 'हिंदू या भगवा' आतंकवादी शामिल थे या नहीं, इसका विवरण भी मांगा। उन्होंने 'इस्लामी आतंकवाद' शब्द के बारे में जानकारी मांगी और ये भी पूछा कि क्या इस तरह के संगठन भारत में किसी बम ब्लास्ट में शामिल थे? कार्यकर्ता ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा साझा की गई जानकारी स्पष्ट रूप से हिंदू या भगवा आतंकवाद के किसी भी संबंध या शब्द को खारिज करती है।
'इस्लामिक आतंकवाद है मौजूद'
सारदा ने कहा, ''मैं ना केवल एक भारतीय के रूप में बल्कि एक हिंदू के रूप में भी बहुत आहत हूं। केवल एक विशिष्ट समुदाय के वोटों को इकट्ठा करने के लिए, कुछ राजनीतिक नेता बार-बार इस देश में करोड़ों हिंदुओं को बदनाम करते हैं। हिंदू आतंकवाद मौजूद नहीं है, लेकिन आरटीआई के जवाब से स्पष्ट है कि इस्लामिक आतंकवाद मौजूद है।''
42 संगठनों को घोषित किया गया 'आतंकवादी संगठन'
गृह मंत्रालय ने आरटीआई के जवाब में बताया कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) की धारा 35 के तहत 42 संगठनों को 'आतंकवादी संगठन' घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न उपाय किए जाते हैं, जिनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की संख्या में वृद्धि, पुलिस बल का आधुनिकीकरण, विशेष बलों की क्षमता निर्माण, सख्त आप्रवासन नियंत्रण, प्रभावी सीमा प्रबंधन, गश्त के माध्यम से सीमाओं पर चौबीसों घंटे निगरानी, निगरानी चौकियों की स्थापना, सीमा पर बाड़ लगाना, फ्लड लाइटिंग, आधुनिक और हाई-टेक निगरानी उपकरणों की तैनाती, इंटेलिजेंस सेटअप और तटीय सुरक्षा आदि शामिल हैं। मंत्रालय ने आगे कहा कि सरकार ने वर्ष 2019 में यूएपीए अधिनियम, 1967 और एनआईए अधिनियम, 2008 में संशोधन करके विधायी ढांचे को भी मजबूत किया है।
आतंकी संगठनों की लिस्ट
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों में बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, लश्कर-ए-तैयबा, पसबन-ए-अहले हादीस, जैश-ए मोहम्मद, तहरीक-ए-फर्गन, हरकत-उल-मुजाहिदीन/हरकत-उल-अंसार/हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लामी या अंसार-उल-उम्माह (एयूयू), हिजबुल-मुजाहिदीन/ हिजबुल-मुजाहिदीन पीर पंजाल रेजिमेंट, अल-उमर-मुजाहिदीन, जम्मू और कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (यूएलएफए), असम में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेपाक (प्रीपाक), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईएलके), मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (एमपीएलएफ), ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा, लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई), स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया, दीनदार अंजुमन, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ भारत (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) शामिल हैं।
ये भी हैं शामिल
इसके अलावा सूची में शामिल अन्य संगठनों में अल बद्र, जमीयत-उल-मुजाहिदीन, भारतीय उप-महाद्वीप में अल-कायदा/अल-कायदा (एक्यूआईएस), दुख्तरान-ए-मिल्लत (डीईएम), तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) के भी नाम हैं। वहीं, नेशनल रिट्रीवल ट्रूप्स (टीएनआरटी), अखिल भारत नेपाली एकता समाज, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी), इंडियन मुजाहिदीन, गारो नेशनल लिबरेशन आर्मी, कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया/दाइश/इस्लामिक स्टेट इन खुरासान प्रोविंस, विलायत खुरासान/इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड शाम-खुरासन, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (खापलांग), द खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, तहरीक-उल-मुजाहिदीन (टीयूएम) और जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश या जमात-उल-मुजाहिदीन इंडिया या जमात-उल-मुजाहिदीन हिंदुस्तान भी उनमें शुमार हैं।
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