आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले, पूरी ताकत से चलाएं पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए अभियान
भागवत ने कहा कि महाराष्ट्र मध्य प्रदेश गुजरात आदि राज्यों में पर्यावरण असंतुलन के कारण बाढ़ आई है। हिमखंडों के पिघलने से नदियों में बाढ़ आ रही है इसलिए पौधारोपण बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि संघ के विभिन्न संगठन तथा स्वयंसेवक बोरी बंधान कर जल संरक्षण कर रहे हैं।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संघ के अधिकारियों से पर्यावरण व जल संरक्षण अभियान पूरी ताकत से चलाने का आग्रह किया है। उन्होंने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शुक्रवार को हुई क्षेत्रीय बैठक में प्रांतीय अधिकारियों से कहा कि पेड़ों के संरक्षण के साथ पानी का दुरपयोग रोकने और लोगों को प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का कम से कम उपयोग करने के लिए जागरूक करें। स्वयंसेवक लोगों को घरों के इर्द-गिर्द पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने के बारे में समझाएं। जैविक कचरे से खाद, परिंदों के लिए घोंसले तथा पौधारोपण करने जैसे अभियान शुरू कर लोगों को इनसे जोड़ें। इससे लोगों में आत्मनिर्भरता का भाव पैदा होगा। साथ ही संगठन के सरोकारों को भी विस्तार मिलेगा।
डॉ. भागवत ने कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों में पर्यावरण असंतुलन के कारण बाढ़ आई है। हिमखंडों के पिघलने से नदियों में बाढ़ आ रही है, इसलिए पौधारोपण बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि संघ के विभिन्न संगठन तथा स्वयंसेवक बोरी बंधान (रेत की बोरियों से पानी रोकना) कर जल संरक्षण कर रहे हैं। साथ ही प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। जीवन में 100 पेड़ लगाएं भागवत ने कहा कि स्वयंसेवक संघ में कुटुंब प्रबोधन, समरसता, ग्राम्य विकास आदि गतिविधियों के साथ ही पर्यावरण की नई गतिविधि शामिल हुई है। हमें अपने जीवनकाल में न्यूनतम सौ पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए। अभी लोगों को वृक्षों की महत्ता समझाते हुए उनके घरों में औषधीय पौधों का रोपण करवाया जा रहा है।
सरकारों के भरोसे संभव नहीं समाज परिवर्तन
उन्होंने कहा कि स्वावलंबन का भाव समाज में स्थायी रूप से स्थापित हो, इसके लिए प्रयास करना है। कोरोना महामारी में समाज में संघ के प्रति विश्वास बढ़ा है। इस कालखंड में कई नए कार्यकर्ता एवं संस्थाएं संघ के संपर्क में आई हैं। इस सज्जन शक्ति को संगठित करते हुए नए लोगों को समाज के बीच में प्रत्यक्ष कार्य करने हेतु प्रेरित करने के भी प्रयास करने हैं। सरकारों के भरोसे समाज परिवर्तन संभव नहीं है। यह तो सामाजिक नेतृत्व से ही संभव होता है।
छोटे-छोटे समूह में मैदान पर आएगा शाखा कार्य
संघ प्रमुख ने कहा कि कोरोना के समय संघ का कार्य वर्चुअल रूप से चलता रहा। अब उसे धीरे-धीरे समाज के बीच में लाकर गति देना है। कोरोना संकट में संघ की शाखा मैदान पर लगाना संभव नहीं था, किंतु अब कोरोना से बचाव के मापदंडों का पालन करते हुए इसे जमीनी स्तर पर लाना है और शाखाओं को मैदान पर छोटे-छोटे समूह में ले जाना है।