दिल्ली के विकास पर भारी पड़ेगी सरकारी सब्सिडी
बिजली और पानी की सब्सिडी सूबे के विकास पर बहुत भारी पड़ सकती है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश किए गए लेखानुदान प्रस्ताव से साफ हो गया कि विकास योजनाओं से संबंधित योजना मद की राशि बिजली-पानी की सब्सिडी के लिए खर्च की जा रही
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। बिजली और पानी की सब्सिडी सूबे के विकास पर बहुत भारी पड़ सकती है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को पेश किए गए लेखानुदान प्रस्ताव से साफ हो गया कि विकास योजनाओं से संबंधित योजना मद की राशि बिजली-पानी की सब्सिडी के लिए खर्च की जा रही है। सरकार ने बिजली व पानी की सब्सिडी के लिए सालाना 1690 करोड़ की राशि का गैर-योजना व्यय में प्रावधान किया है।
सरकार द्वारा पेश लेखानुदान प्रस्ताव के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में योजना मद में 16700 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है जबकि 1 अप्रैल से चालू हो रहे अगले वित्त वर्ष के लिए योजना मद की यह राशि घटाकर 15350 करोड़ रुपये कर दी गई है। महत्वपूर्ण यह है कि चालू वित्त वर्ष में 4500 करोड़ रुपये के भारी घाटे के बावजूद सरकार सब्सिडी का यह भारी भरकम बोझ उठा रही है।
उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने आगामी वित्त वर्ष 2015-16 के लिये प्रस्तुत बजट अनुमान में दिल्ली के लिए 37,750 करोड़ का बजट पेश किया। उन्होंने फिलहाल सदन में तीन माह के लिए लेखानुदान मांगे प्रस्तुत की। सिसोदिया ने बजट अनुमान 2015-2016 के लिये 37750 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया। इनमें 21,500 करोड़ रुपये गैर योजना व्यय, 15,350 करोड़ रुपये योजना व्यय और 900 करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने कुल अनुमानित बजट राशि में से तमाम स्रोतों के जरिए 32641 करोड़ अर्जित करने का दंभ 2015-2016 के लिए भरा है।
वहीं 1327 करोड़ गैर कर राजस्व, 681 करोड़ रुपये पूंजी प्राप्तियों और 900 करोड़ रुपये लघु बचत ऋणों से जुटाए जाएंगे। इसके अलावा 325 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी, 395 करोड़ रुपये सामान्य केंद्रीय सहायता और 900 करोड़ रुपये केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम आदि के रूप में शामिल है।
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