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लैब से निकल कर आपके किचन में जाने को तैयार है रोबोट, इसके लिए क्‍या आप हैं तैयार

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मनुष्य को ऐसी दुनिया में ले जा रहा है जहां उसके दोस्त रोबोट होंगे, लेकिन मशीनें मानव की अपेक्षाओं पर खरी उतर पाएंगी, ये साबित होना अभी बाकी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 10:27 AM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 10:28 AM (IST)
लैब से निकल कर आपके किचन में जाने को तैयार है रोबोट, इसके लिए क्‍या आप हैं तैयार
लैब से निकल कर आपके किचन में जाने को तैयार है रोबोट, इसके लिए क्‍या आप हैं तैयार

नई दिल्ली [नेशनल डेस्क]। आपके साथ घुल-मिल सकने वाले निजी-घरेलू रोबोट अब प्रयोगशाला से निकलने लगे हैं और धीरे- धीरे उनकी पहुंच हमारे लिविंग रूम और किचन तक हो रही है, लेकिन एक बड़ा सवाल यह है कि क्या हम उन्हें अपने जीवन में प्रवेश देने के लिए तैयार हैं? एक रोबोट को तैयार करने में कभी-कभी दशकों का समय लग जाता है। इसके बावजूद वे लोकप्रिय साइंस फिक्शन फिल्मों में नजर आने वाले रोबोट के मुकाबले अधूरे नजर आते हैं। उनमें से ज्यादातर चल नहीं सकते हैं।

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भाषा, सामाजिक कौशल और शारीरिक बनावट को मैच करना तो काफी दूर की बात है। इससे भी अधिक उन्हें कुछ नए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से तगड़ी चुनौती मिल रही है, जो कि उन रोबोट के मुकाबले कहीं अधिक सस्ते हैं जिन्हें पहले- पहल मशीनी काम करने के लिए तैयार किया गया था। ऐसे गैजेट्स आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस से भी लैस हैं। इन सबके बावजूद रोबोट के प्रति आकर्षण किसी भी तरह कम नहीं हो रहा है। कई रोबोट निर्माताओं ने नए-नए मॉडल उतारे हैं। मानव जीवन के काफी करीब नजर आने वाले ऐसे महत्वाकांक्षी रोबोट के प्रति बाजार का नजरिया कुल मिलाकर मिश्रित ही रहा है। यानी उन्हें कुछ सराहना मिली है तो कुछ कमियां भी गिनाई गई हैं।

जिबो और कुरी पिछले दिनों दो नए सामाजिक रोबोट सामने आए। जिबो बात करने में सक्षम है तो कुरी एक प्रकार का कार्टून चरित्र है। एक अन्य रोबोट वेक्टर को भी पिछले बुधवार को लांच किया गया। इसके निर्माता को भरोसा है कि उनका रोबोट एक बड़ा हिट साबित होगा। कई रोबोटिक स्टार्ट-अप में निवेश करने वाली कंपनी एनियक वेंचर्स के एक संस्थापक विक सिंह के मुताबिक हमें इस साल कई अच्छे रोबोट देखने को मिलेंगे, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि इनमें से ज्यादातर सीमित उपयोग वाले होंगे।

जिबो रोबोट का निर्माण करने वाली कंपनी एमआइटी रोबोटिक्स की रिसर्चर सिंथिया ब्रीजिल का कहना है कि एक समय ऐसा आने वाला है जब हर कोई पर्सनल रोबोट की कद्र करना ही छोड़ देगा। यह समय हालांकि अभी नहीं आया है। जिबो की कीमत करीब नौ सौ डॉलर है। फिर भी अभी अपेक्षा के मुताबिक खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस रोबोट के प्रति खरीदारों का क्या रुख है, इस पर कंपनी ने ज्यादा कुछ नहीं कहा है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि सोशल रोबोट का हमारे जीवन में बहुत महत्व हो सकता है। खास तौर पर घर में बुजुर्गों के लिए वे अच्छे सहायक हो सकते हैं। ऐसे रोबोट बुजुर्गों को यह याद दिला सकते हैं कि उन्हें कब दवा लेनी है? उन्हें जगाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं वे उन्हें दूर रहने वाले परिजनों और मित्रों के साथ संपर्क में रखने में भी मददगार हो सकते हैं। ऐसे रोबोट को समाज में हर उम्र के लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी।

इंसानों को भावुक कर सकता है रोबोट

अनगिनत भावनाओं को अपने अंदर समेटे रखने वाला इंसान रोबोट से भी भावनात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। यह बात चौंकाने वाली जरूर लगती है, लेकिन सच है। वैज्ञानिक एक प्रयोग के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि हमारे भीतर मानव सदृश मशीनों से प्रभावित होने की गहरी प्रवृत्ति होती है।

शोधकर्ताओं ने देखा कि कुछ वालंटियर्स ने उनकी बात आराम से मान ली और अपने रोबोट को बंद कर दिया, जबकि 43 वालंटियर्स इस पसोपेश में दिखे कि वे शोधकर्ताओं की बात मानें या रोबोट की। वहीं, 13 वालंटियर्स ने तो रोबोट की बात मानते हुए उन्हें बंद करने से इन्कार कर दिया। इसके अलावा शेष वालंटियर्स ने रोबोट को बंद करने में बहुत अधिक समय लिया।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्रयोग से स्पष्ट हुआ कि रोबोट हमें भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, इस प्रयोग के बाद जब वालंटियर्स से पूछा गया कि उन्होंने रोबोट को बंद करने से इन्कार क्यों किया तो ज्यादातर का कहना था कि रोबोट ने ऐसा कहा था। वहीं, कुछ ने कहा कि रोबोट को बंद करते समय उन्हें बुरा लग रहा था और ऐसा एहसास हो रहा था कि वे कुछ गलत करने जा रहे हैं।

घर के हर काम में हाथ बंटाएंगे रोबोट

दुनियाभर के वैज्ञानिक वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ)) और रोबोटिक्स के क्षेत्र में विकास करने में लगे हुए हैं। वे एआइ आधारित ऐसा रोबोट तैयार करना चाहते हैं, जिससे हमारा जीवन बेहद आसान हो सके। इसी कड़ी में वैज्ञानिक एक खास एआइ प्रणाली पर काम कर रहे हैं। इसके जरिये ऐसे वर्चुअल एजेंटों को तैयार किया जा रहा है, जो घर के लगभग हर काम में इंसानों का हाथ बंटाने के लिए रोबोट को तैयार करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस प्रणाली के जरिये भावी रोबोट्स को तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

रोबोट ने दिलाई बर्तन धोने के झंझट से मुक्ति

खाना खाने के बाद गंदे बर्तन धोना कुछ लोगों को आफत से कम नहीं लगता है। अगर आपको भी हाथों से बर्तन धोना अच्‍छा नहीं लगता, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब एक रोबोट आपके गंदे बर्तनों को धोएगा। बर्तन धोने वाला ये रोबोट जापान की एक कंपनी ने तैयार किया है। इसे स्‍क्रबिंग रोबोट के नाम से पुकारा जाता है, हालांकि कंपनी ने इसे 'कुरू सारा वॉश' नाम दिया है।

कुरू सारा वॉश दिखने में बहुत साधारण-सा लगता है, लेकिन यह बहुत सफाई से अपने काम को अंजाम देता है। यह मिनटों में प्‍लेट और बाउल्‍स को सफाई से धो देता है। आपको सिर्फ इसके खांचे में बर्तन को फंसाने की जरूरत है। इसके बाद बटन दबाते ही प्‍लेट या बाउल रोल होने लगते हैं। इसके ब्रिसल्‍स गंदगी और चिकनाई को पूरी तरह हटा देते हैं। 


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