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दुर्गम स्थानों पर मदद पहुंचाएगा ‘रोबो-बी’, निगरानी करने में है सक्षम

रोबो-बी नामक इस रोबोट के पास उड़ान भरने और लचीलेपन के लिए कोमल आर्टिफिशियल मांसपेशियां (एक्ट्यूएटर) हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 09:43 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:43 AM (IST)
दुर्गम स्थानों पर मदद पहुंचाएगा ‘रोबो-बी’, निगरानी करने में है सक्षम

नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रोबोट विकसित करने में कामयाबी हासिल की है, जो मधुमक्खी की तरह उड़ान भरने में सक्षम है और दीवारों से टकराने के बाद भी आसानी से अपना रास्ता बदल कर अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह रोबोट दुर्गम स्थानों पर आसानी से पहुंचने के साथ-साथ वहां फंसे हुए लोगों को बचाने में बचाव दल के लिए मददगार भी साबित हो सकता है। रोबो-बी नामक इस रोबोट के पास उड़ान भरने और लचीलेपन के लिए कोमल आर्टिफिशियल मांसपेशियां (एक्ट्यूएटर) हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि ये एक्ट्यूएटर्स ‘रोबो-बी’ को मधुमक्खी तरह मंडराने में मदद करते हैं।

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इसे विकसित करने वाले अमेरिका के हार्वर्ड माइक्रोरोबोटिक लैबोरेट्री के शोधकर्ताओं ने अध्ययन कर दावा है कि पहली बार ऐसा रोबोटिक उपकरण तैयार किया गया है जो आसानी से दुर्गम स्थानों में जा सकेगा और एक निश्चित समय में अपने काम को पूरा कर सकता है। हार्वर्ड माइक्रोरोबोटिक लैबोरेट्री के जॉन ए पॉलसन स्कूल ऑफ इंजीनिर्यंरग एंड अप्लाइड साइंस (एसईएएस) के शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सॉफ्ट रोबोटिक्स को बनाना उतना ज्यादा मुश्किल नहीं होता जितना इन्हें नियंत्रित करना होता है। ये उपकरण यदि एक निश्चित माप से ज्यादा बड़े हो जाते हैं तो इनकी गतिविधियों को कंट्रोल करना सबसे बड़ी चुनौती होती है। ऐसी स्थिति में कई बार पूरा सिस्टम दोबारा तैयार करना पड़ जाता है।’

एसईएएस के पोस्टडॉक्टोरल फैलो और इस अध्ययन के मुख्य लेखक यूफेंग चेन ने कहा, ‘मोबाइल रोबोट्स तैयार करने के लिए माइक्रोरोबोटिक्स के क्षेत्र में अब बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है, क्योंकि इसमें प्रयुक्त होने वाले सॉफ्ट एक्ट्यूएटर्स काफी लचीले होते हैं और ये शोधकर्ताओं की आधी चुनौती कम कर देते हैं।’उन्होंने कहा कि हालांकि कई लोग मानते हैं कि इसका उपयोग फ्लाइंग रोबोट्स के तौर पर तो किया जा सकता है पर इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता। लेकिन ऐसा नहीं है।

नए एक्ट्यूएटर्स में ऐसी क्षमता है कि किसी भी सूरत में रोबोट को नियंत्रित किया जा सकता है। इसे तैयार करने के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसी नरम सामग्री का प्रयोग किया है, जो मजबूत तो है ही, साथ ही इसमें करंट का प्रवाह भी होता भी है। बिजली के संपर्क में आते ही ये एक्ट्यूएटर्स गतिविधि करना शुरू कर देते हैं। इसकी एक खासियत यह भी है कि किसी भी सतह से टकराने पर ये टूटते नहीं हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा, कि सॉफ्ट रोबोटिक्स के क्षेत्र में ‘रोबो-बी’ भविष्य में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है। उन्होंने कहा कि इसकी मदद से रोबोटिक आर्मी की अवधारणा को भी साकार किया जा सकता है। ये रोबोट इतने छोटे हैं कि आसानी से दुश्मन को नजर नहीं आ सकते। इनकी मदद से देश की सीमा पर हो रही गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। लेकिन इससे पहले इन पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से और काम करने की जरूरत है। इस अध्ययन के मुख्य लेखक यूफेंग ने कहा, ‘रोबो-बी को तैयार करने के लिए सबसे पहले हमने स्टील की छड़ों की मदद से एक आयताकार सांचा तैयार किया और उसके चारों कोनों पर हल्की मोटरों को एक्ट्यूएटर से जोड़ दिया। ’

निगरानी करने में है सक्षम

शोधकर्ताओं ने कहा, ‘रोबो-बी दुर्गम स्थानों पर भी आवश्यक सामग्री पहुंचाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही ऐसे स्थानों में फंसे हुए लोगों को बचाने में बचाव दल के लिए मददगार भी साबित हो सकते हैं। इसके अलावा इनका प्रयोग निगरानी के लिए भी किया जा सकता है।


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