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बिना पैसा लगाए खड़ी हुई राबिन हुड आर्मी, 15 अगस्त तक 3 करोड़ गरीबों को राशन बांटने का लक्ष्य

बिना पैसा लगाए केवल सहयोग और परिश्रम से राबिन हुड आर्मी खड़ी हुई है। संस्‍था का लक्ष्‍य 15 अगस्त तक तीन करोड़ गरीबों तक राशन पैकेट बांटने का है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 08:28 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 08:28 PM (IST)
बिना पैसा लगाए खड़ी हुई राबिन हुड आर्मी, 15 अगस्त तक 3 करोड़ गरीबों को राशन बांटने का लक्ष्य

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दो बच्चों और घर को संभालने के बाद किसी गृहिणी के पास शायद ही इतना वक्त होता है कि वह घर से बाहर निकलकर समाज के गरीब भूखों के लिए दो जून की रोटी की जद्दोजहद करे, लेकिन जज्बा हो तो यह संभव है। लखनऊ की गृहिणी जया बोस इसी मकसद से शहर में 'राबिन हुड आर्मी' का पूरा प्रबंध देखती हैं और कई लोगों को जोड़कर इसका इंतजाम कर रही हैं कि लोग भूखे न सोएं। दिल्ली, रांची, जमशेदपुर, हापुड़, अहमदाबाद, कोलकाता समेत देश के लगभग कई शहरों में राबिन हुड आर्मी फिलहाल 'मिशन तीन करोड़' को पूरा करने में जुटी है। इसके तहत एक जुलाई से 15 अगस्त के बीच डेढ़ महीने में तीन करोड़ से ज्यादा लोगों की भूख मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। अब दो दिन शेष बचा है और राबिन हुड की सदस्य आरुषि बत्रा को भरोसा है कि लक्ष्य पूरा होगा। यह एक अनूठी पहल है, क्योंकि इसका कोई फंड नहीं है। कोई पैसा नहीं लगा, सिर्फ मेहनत, जज्बा और कोशिश रंग ला रहा है।

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दिल्ली में हुई रॉबिन हुड आर्मी की शुरुआत

राबिन हुड टीम कारपोरेट घरानों, रेस्टोरेंट, शादी ब्याह का आयोजन करने वालों से संपर्क साधती है और फिर कभी तैयार खानों के रूप में तो कभी राशन के रूप में लोगों तक पहुंचा रही है। 2014 में दिल्ली में रॉबिन हुड आर्मी की शुरुआत हुई थी। तब से लोग जुड़ते गए और वैश्विक रूप से कारवां बढ़ता गया। दिल्ली के वॉलंटियर रजत जैन ने बताया कि शहर में लगभग 25 हजार से अधिक युवा इस टीम से जुड़े हैं जो हर जरूरत के मौके पर समाज के साथ खड़े होते हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई से राशन तक, हर तरह से मदद

झारखंड में राबिन हुड आर्मी के तीन चैप्टर क्रमश रांची, जमशेदपुर और धनबाद में सक्रिय हैं। तीनों स्थानों पर लगभग 250 लोग इसमें जुड़े हैं। ये अनाथालयों को भी राशन उपलब्ध कराते हैं। राबिन हुड आर्मी से जुड़ीं प्रिया दास ने बताया कि भविष्य में बच्चों की शिक्षा पर भी फोकस करने की योजना है। लखनऊ में जया वंचित बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई की जिम्मेदारी निभाने के अलावा उनके परिवार को कोरोना महामारी के दौरान स्वस्थ रहने, साफ-सफाई रखने के लिए मास्क, हैंड सैनिटाइजर देने सहित भूख से बचाने के लिए कच्चा राशन भी वितरित कर रहीं हैं।

बैग ऑफ स्माइल

आरुषि का कहना है कि असली उद्देश्य स्वतंत्रता दिवस पर बड़े शहरों के सामाजिक संस्थाओं को राष्ट्रीय संकट के समय व्यक्तिगत रूप से समाज की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करना भी है। संकट के दौरान जरूरतमंद लोगों को सहायता के लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं रहना होगा, बल्कि समाज खुद उनकी चिंता करेगा। मिशन तीन करोड़ में रिलायंस फाउंडेशन, गोदरेज, हल्दीराम की ओर से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई। जिन्हें सोच और सहेली एनजीओ की मदद से जरूरतमंदों तक पहुंचाया गया। सारी खाद्य सामग्री एक बैग में रखकर जरूरतमंदों को दी जाती है। इस बैग को 'बैग ऑफ स्माइल' नाम दिया गया है, जो सही मायने में जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहा है।


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