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ये है कश्मीर में स्थायी शांति का रोडमैप

घुसपैठ रोकने के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों ने इस गर्मी के दौरान ही घाटी में मौजूद सभी आतंकियों के सफाये की तैयारी शुरू कर दी है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 07 Jun 2017 10:49 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2017 10:49 PM (IST)
ये है कश्मीर में स्थायी शांति का रोडमैप

नई दिल्ली, नीलू रंजन। मोदी सरकार ने कश्मीर में स्थायी शांति का ब्लूप्रिंट मोटे तौर पर तैयार कर लिया है। सुरक्षा एजेंसियों को इसके तहत बर्फबारी के पहले घाटी में मौजूद आतंकियों का पूरी तरह सफाया करने का निर्देश दे दिया है। इसके साथ ही पाक से आने वाले आतंकी फंडिंग के सारे रास्ते बंद किया जाना है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। दो साल पहले आतंकी बुरहान वानी के साथ फोटो खिंचाने वाले आठ आतंकियों को पहले ही मार गिराया जा चुका है।

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सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक अति वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि घाटी में आतंकी घुसपैठ की सबसे अधिक घटनाएं गर्मी के मौसम में होती है, जब सीमावर्ती इलाकों में बर्फ पिघल जाती है। बाद में यही आतंकी घाटी में पूरे साल हमले करते रहते हैं। लेकिन इस बार सुरक्षा एजेंसियों ने गर्मी के दौरान आतंकी घुसपैठ को रोकने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है। पिछले एक हफ्ते में सीमा पार से घुसपैठ करते हुए मारे गए आतंकियों की संख्या इसका सबूत है। इसके साथ ही घुसपैठ में मदद करने वाले पाक सेना के बंकरों को भी निशाना बनाया जा रहा है।

घुसपैठ रोकने के साथ ही सुरक्षा एजेंसियों ने इस गर्मी के दौरान ही घाटी में मौजूद सभी आतंकियों के सफाये की तैयारी शुरू कर दी है। इसी का नतीजा यह है कि 2015 में बुरहान वानी के साथ फोटो खिंचवाने वाले 11 में सात आतंकियों को मार गिराया गया है और एक को गिरफ्तार किया जा चुका है। केवल तीन आतंकी ही ऐसे है, जो अब भी फरार चल रहे हैं। घाटी में सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव का ही नतीजा है कि एक हफ्ते पहले भारत के खिलाफ नारे लगाने वाला आतंकी अहमद ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इसके साथ ही बुरहान वानी और सब्जार भट के दफन करने के दौरान उमड़ी भीड़ भी घाटी में तेजी से बदलती फिजा को बयान करती है।

बुरहान के जनाजे में जहां दो लाख से अधिक लोग मौजूद थे और इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। वहीं सबजार भट के जनाजे में मुश्किल से तीन हजार लोग ही मौजूद थे। कुछ इलाकों में सीमित बंद को छोड़कर पूरे कश्मीर में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला है। एजेंसियों ने घाटी में सक्रिय एक दर्जन मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची जारी कर दी है। उनका मानना है कि इन आतंकियों के खत्म करने के बाद अधिकांश आतंकी खुद ही आत्मसमर्पण कर देंगे।

आतंकियों के साथ ही सरकार पाकिस्तान से होने वाली आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए कमर कस लिया है। आतंकी फंडिंग के सूत्रधारों के खिलाफ एनआइए की कार्रवाई इसी का हिस्सा है। एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत के माध्यम से हर साल लगभग 300 करोड़ रुपये भेजता है। इनमें आधा धन हिजबुल मुजाहिदीन और लश्करे तैयबा के आतंकियों को जाता है और इसे पैसे का इस्तेमाल हिंसक प्रदर्शनों के लिए किया जाता है।

एजेंसियां इस फंडिंग को पूरी तरह रोकने के प्रयास में जुटी हैं, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिल रही है। यदि तीनों मोर्चो पर एजेंसियां कामयाब रहीं तो इस बाद घाटी में बर्फबारी के साथ धमाके की आवाज नहीं सुनाई देगी। वैसे इसकी असली परीक्षा अगले महीने शुरू होने वाले अमरनाथ यात्रा को दौरान ही हो जाएगी। इस यात्रा पर आतंकी हमले की खतरे के साथ-साथ अलगाववादी नेता भी किसी ने किसी तरह का विवाद खड़ा करने की कोशिश करते रहे हैं।

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