वाहन चालकों से डिजिटल डाक्यूमेंट स्वीकार करने को सड़क मंत्रालय फिर जारी करेगा एडवाइजरी
डिजिटल डाक्यूमेंट कागजी दस्तावेजों की भांति कानूनी रूप से वैध हैं। पुलिस इन्हें स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकते। डिजिलॉकर उतना ही सुरक्षित है जितना ऑनलाइन बैंक एकाउंट।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाहन चालकों से डिजिटल डाक्यूमेंट स्वीकार करने के बारे में केंद्र राज्यों को नए सिरे से एडवाइजरी जारी किया जाएगा। हालांकि इस संबंध में पिछले वर्ष 19 नवंबर को एक एडवाइजरी जारी की जा चुकी है, लेकिन उसके बारे में कई पुलिस वालों को जानकारी नहीं है या वे जानबूझकर अनजान बन रहे हैं।
पिछले साल नवंबर में जारी एडवाइजरी में सभी राज्यों के प्रधान सचिवों, परिवहन सचिवों, पुलिस महानिदेशकों को कहा गया था कि अब ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, फिटनेस सर्टिफिकेट तथा परमिट या प्रदूषण प्रमाणपत्र (पीयूसी) को डिजिटल, इलेक्ट्रानिक या ऑनलाइन रूप में वैसे ही माना व स्वीकार किया जाएगा जैसे कागजी दस्तावेज माने व स्वीकार किए जाते हैं।
डिजिटल डाक्यूमेंट कानूनी रूप से वैध
डिजिटल डाक्यूमेंट कागजी दस्तावेजों की भांति ही कानूनी रूप से वैध हैं। इसलिए पुलिस वाले इन्हें स्वीकार करने से इनकार नहीं कर सकते, लेकिन ऐसी सूचना मिल रही है पुलिस इसे मानने से इनकार कर रही है। खासकर छोटे शहरों में यह समस्या आ रही है।
'डिजिलॉकर' ऐप
याद रहे कि दस्तावेजों की फोटो को डिजिटल डाक्यूमेंट नहीं माना जाएगा। इसके लिए सड़क मंत्रालय के 'एम परिवहन' ऐप अथवा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के 'डिजिलॉकर' ऐप को डाउनलोड करके दस्तावेज हासिल करने होंगे। ये ऐप आपके डीएल, आरसी, इंश्योरेंस, परमिट, पीयूसी आदि के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
एम-चालान ऐप
एम-चालान ऐप में डीएल, वाहन या परमिट का नंबर डालते ही पूरा डाक्यूमेंट सामने आ जाएगा। इसमें वाहन का ई-चालान कितनी बार हुआ है ये भी पता चल जाएगा। इसमें किराये पर ली गई टैक्सी (ओला, ऊबर जैसे एग्रीगेटर) के चालक के बारे में भी जानकारी प्राप्त होगी। डिजिलॉकर उतना ही सुरक्षित है जितना ऑनलाइन बैंक एकाउंट।