सड़क पर मौत बांटते ही छूट जाते हैं अपराधी
पहली घटना : तेज रफ्तार ट्रक ने मोटरसाइकिल सवार दो लोगों को कुचल दिया। दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। आरोपी ट्रक चालक को गिरफ्तार किया गया, लेकिन चंद घंटे बाद उसे जमानत मिल गई। दूसरी घटना : एक ट्रक ने बस में टक्कर मार दी। बस में सवार तीन महिलाओं की मौत व आठ लोग घायल हो गए। पुलिस ने आर
नई दिल्ली [पवन कुमार]। पहली घटना : तेज रफ्तार ट्रक ने मोटरसाइकिल सवार दो लोगों को कुचल दिया। दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। आरोपी ट्रक चालक को गिरफ्तार किया गया, लेकिन चंद घंटे बाद उसे जमानत मिल गई।
दूसरी घटना : एक ट्रक ने बस में टक्कर मार दी। बस में सवार तीन महिलाओं की मौत व आठ लोग घायल हो गए। पुलिस ने आरोपी को पकड़ा और कुछ घंटे बाद उसे जमानत मिल गई।
ये दोनों घटनाएं बीते दिनों दिल्ली में हुई थीं। ये घटनाएं बताती हैं कि किस तरह अपनी लापरवाही से मौत बांटने वाले लोग आसानी से आजाद हो जाते हैं। राजधानी में पिछले साढ़े चार महीने (एक जनवरी से 15 मई तक) में 500 से अधिक सड़क हादसों में 581 लोगों की जान गई है। इन सभी हादसों में आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और वे बिना किसी परेशानी के घूम रहे हैं। दुर्घटना को अंजाम देकर आसानी से सलाखों से बाहर आ जाने का क्रम मंगलवार को फिर दिखा। एक कार ने केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की कार को टक्कर मारी। हादसे में गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गई। दुर्घटना के कुछ घंटे बाद आरोपी कार चालक गुरविंदर अदालत से जमानत पर छूट गया। सड़क हादसों में कमी न आने का एक कारण यह भी है कि ऐसे मामलों में बेहद मामूली कानूनी कार्रवाई होती है। ऐसे में जरूरत कानून में बदलाव की है।
जमानती अपराध है सड़क दुर्घटना
सड़क दुर्घटना में यदि कोई घायल होता है, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत लापरवाही से वाहन चलाने का मुकदमा दर्ज किया जाता है। यदि किसी की मौत हो जाती है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत लापरवाही के कारण अनजाने में हुई गलती से मौत का मामला दर्ज किया जाता है। दोनों ही मामले जमानती अपराध हैं। इनमें दो से तीन साल कैद की सजा का प्रावधान है। सड़क दुर्घटनाओं में कमी न आने का एक मुख्य कारण इस अपराध का जमानती होना है। - मनीष भदौरिया, अधिवक्ता
कानून में बदलाव की सख्त जरूरत
दुर्घटनाओं से संबंधित अपराध में हलकी सजा होने के कारण लोगों में कानून के प्रति खौफ पैदा नहीं होता है। वर्ष 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में यह व्यवस्था दी थी कि यदि कोई जानबूझकर शराब पीकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाए और उससे किसी की मौत हो जाती है तो आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। जिसमें 10 साल तक की कैद का प्रावधान है। यह सराहनीय पहल थी, लेकिन इतना ही काफी नहीं है। सड़क दुर्घटना में कमी लाने के लिए इस तरह के अपराध को गैर जमानती बनाया जाना बेहद जरूरी है। विशेष तौर पर उन मामलों में, जिनमें किसी की मौत हो जाती है।
-केडी भारद्वाज, अधिवक्ता, पूर्व मुख्य लोक अभियोजक दिल्ली